Monkeypox Case In India: भारत में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के दो केस सामने आने के बाद से सभी राज्य अलर्ट मोड़ पर आ गये है. दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने भी इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी है. दिल्ली सरकार के लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) अस्पताल को इसके लिये नोडल अस्पताल बनाया गया है और इस अस्पताल में 6 बेड का एक स्पेशल वार्ड भी तैयार किया जा रहा है. LNJP अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुरेश कुमार ने मंकी पॉक्स को लेकर की जा रही तैयारियों पर विस्तृत जानकारी दी.


मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स एक नया वायरस डिजीज है जो सबसे पहले अफ्रीका में देखने को मिला. अफ्रीका के बाद 20 से भी अधिक देशों में मंकी पॉक्स के मामले सामने आए. ये एक डीएनए वायरस है जोकि जेनेटिक बीमारी है. जो लोग जानवर के संपर्क में आते है या मीट का प्रयोग करते है उनमें ज्यादा देखने को मिला है. भारत में अभी तक इसके 2 मामले केरल में सामने आए है.भारत सरकार द्वारा जो गाइडलाइन जारी की गई है उसका पालन करते हुए डिटेल SOP बनाए गए है.


LNJP अस्पताल में क्या है तैयारी?
दिल्ली सरकार ने LNJP अस्पताल को मंकी पॉक्स के लिए नोडल हॉस्पिटल बनाया है. हमने यहां 6 बेड्स का एक आइसोलेशन वार्ड बनाया है. कल हमने मंकी पॉक्स के लिए हॉस्पिटल स्टाफ को ट्रेनिंग दी. नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर और टेक्नीशियन को मंकी पॉक्स की डिटेल जानकारी दी गई. यह बताया गया कि इसके क्या लक्षण होते हैं और कैसे इसके सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं.


कितनी खतरनाक है ये बीमारी?
कोरोना के मुकाबले मंकी पॉक्स के मामले में मृत्यु दर काफी कम है.अभी तक भारत में मंकी पॉक्स से एक भी मौत नहीं हुई है.2 मामले जरूर सामने आए है.ये वैसे लोग थे जो विदेश से आए है और मंकी पॉक्स से संक्रमित लोगों के संपर्क में आए थे.इस बीमारी में इंसान से इंसान में संक्रमण हो सकता है.इससे बचाव सबसे जरूरी है.मास्क का प्रयोग करना सबसे जरूरी है.सामान्य मास्क का भी प्रयोग किया जा सकता है.इसके साथ साथ सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना भी जरूरी है.यदि किसी व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण सामने आते है तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.इसके टेस्ट के लिए स्किन से स्लेट लिया जाता है.इसका टेस्ट स्किन से होता है.इसके जांच से हमे पता चलता है की इंसान में मंकी पॉक्स का वायरस है या कोई दूसरा वायरस.


कैसे की जाती है जांच?
इसका टेस्ट नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में होता है. यह अलग वायरस है. दिल्ली में अब तक इसका एक भी केस नहीं है, इसलिए इसके बारे में जानकारी सीमित है. हम WHO की गाइडलाइंस और भारत सरकार के निर्देशों को फॉलो कर रहे हैं. बुश मीट और वाइल्ड एनिमल्स के जरिए यह फैलता है. मंकी पॉक्स में मरीज को स्किन पर निशान आता है, रैशेज होते हैं, बुखार, आंखों में लालपन और मसल्स पेन भी इसके लक्षण हैं.


क्या है मंकी पॉक्स का इलाज?
मंकी पॉक्स के मरीजों को सिस्टमैटिक ट्रीटमेंट दिया जाता है. अगर बुखार है तो पेरासिटामोल दिया जाता है. अगर किसी को स्किन में प्रॉब्लम है तो स्किन का इलाज किया जाता है. ज्यादातर मंकी पॉक्स के मामले 2 से 3 हफ्ते में ठीक हो जाते है. जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है उनको थोड़ी परेशानी होती है.


कोरोना और इसमें क्या समानता है?
दिल्ली में ऐसे लक्षण वाला अब तक एक भी केस नहीं आया है. हालांकि यह कोरोना (Corona) से बिल्कुल अलग है. यह एक DNA वायरस है, इसमें ह्यूमन टू ह्यूमन ट्रांसमिशन (Human To Human Transmission) भी होता है. अगर कोई पेशेंट के क्लोज कॉन्टैक्ट में हो, क्लॉथ शेयर करते हैं, तो उसमें भी ट्रांसमिशन हो सकता है. मदर टू चाइल्ड ट्रांसमिशन के भी केस आए हैं.




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