Digital Personal Data Protection Bill: डिजिटल डेटा को सुरक्षित रखने के लिए मोदी सरकार अगले साल संसद के बजट सत्र में डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा बिल (Digital Personal Data Protection Bill) लाने जा रही है. बिल का उद्देश्य निजी डिजिटल डेटा को लीक होने से बचाना है. बिल में प्रवधान किया गया है कि अगर कोई कंपनी, ई-कॉमर्स प्लेटफार्म या डिजिटल पेमेंट ऐप किसी व्यक्ति की इजाजत के बिना आपकी ओर से दी गई जानकारी को किसी और के साथ लीक या साझा करता है तो उसपर 500 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है. 


इनमें व्यक्ति से जुड़ी निजी जानकारी, जैसे आपका नाम, पता, बैंक अकाउंट, मोबाइल नम्बर और आधार नंबर जैसी जानकारियां शामिल हैं जो आमतौर पर डिजिटल रूप में अलग-अलग कामों के लिए काम आती हैं. उदाहरण के लिए अगर पेटिएम जैसे किसी डिजिटल पेमेंट प्लेटफार्म का इस्तेमाल करने के लिए आपने ऑनलाइन कोई जानकारी दी है तो पेटिएम उसे किसी अन्य प्लेटफार्म से तब तक साझा नहीं कर सकता जब तक आपने अपनी ओर से अनुमति नहीं दी हो. अगर आपकी अनुमति के बिना पेटिएम ऐसा करता है तो उसपर 500 करोड़ रुपया तक जुर्माना लगाया जा सकेगा. 


ई-मेल से कर सकेंगे शिकायत...


वहीं, अगर किसी व्यक्ति के साथ ऐसा होता है तो वो इसकी शिकायत डेटा सुरक्षा बोर्ड से ई-मेल के जरिए कर सकेगा. बिल में इस बोर्ड के गठन किए जाने का प्रावधान किया गया है. शिकायत मिलने के बाद बोर्ड आपकी शिकायत पर जांच करेगा और उसे सही पाए जाने पर कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकेगा. 


किसी कंपनी को प्रावधान से छूट नहीं- राजीव चंद्रशेखर


बिल में ये साफ़ किया गया है कि जुर्माने का प्रावधान न सिर्फ़ प्राइवेट कम्पनियों पर बल्कि सरकारी कंपनियों और संस्थानों पर भी लागू होगा. सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के मुताबिक़ इस प्रावधान से किसी भी तरह की कंपनी या संस्थान को छूट नहीं मिली हुई है, चाहे वो प्राइवेट हो या सरकारी. हालांकि आंकड़ों के मुताबिक़ निजी डेटा या निजी जानकारी लीक होने की ज़्यादा शिकायतें प्राइवेट कम्पनियों में आती हैं. 


राजीव चंद्रशेखर ने उम्मीद जताई कि संसद से पारित होने के बाद जब बिल एक कानून की शक्ल ले लेगा तो ऐसी कंपनियों पर आम नागरिकों की जानकारियों से जुड़े डेटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ जाएगी और उसे साझा या लीक करने के पहले कई बार सोचना पड़ेगा.


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