PM Modi: मोदी सरकार सहकारिता क्षेत्र में आमूल चूल बदलाव की योजना पर काम कर रही है. बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक (Union Cabinet Meeting) में देशभर में फिलहाल कार्यरत करीब 63000 पैक्स (Primary Agriculture Credit Society यानि प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी) के कंप्यूटरी करण का फैसला किया गया. इसके लिए करीब 2500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. 


कैबिनेट के फैसले के मुताबिक हर पैक्स को इस काम के लिए करीब 4 लाख रुपए मिलेंगे, जिसमें 75 फ़ीसदी हिस्सा केंद्र सरकार का होगा. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि इस फैसले से लगभग 13 करोड़ छोटे व सीमांत किसान लाभांवित होंगे और इस डिजिटल युग में PACS कंप्‍यूटरीकरण का निर्णय इनकी पारदर्शिता, विश्वसनीयता व कार्य क्षमता को बढ़ाएगा. 


करीब 13 करोड़ किसान इसके सदस्य हैं


पैक्स देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण की त्रिस्तरीय व्यवस्था में सबसे निचले स्तर की इकाई है जो ज़्यादातर छोटे और सीमांत किसानों को ऋण देती है. करीब 13 करोड़ किसान इसके सदस्य हैं और यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास की एक अहम कड़ी साबित हो सकती है. इसके महत्व का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर पैक्स में 5-10 लोगों को रोजगार देने की क्षमता होती है. 


हालांकि सरकार के सूत्रों का कहना है कि सहकारिता क्षेत्र में सुधार की ये शुरुआत है. इसमें पैक्स को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने की भी योजना है. सूत्रों के मुताबिक़ 2025-26 तक देशभर में पैक्स की संख्या 3 लाख करने की है जो वर्तमान में महज 63000 है. हालांकि अधिकारियों को उम्मीद है कि 2024 तक तीन लाख पैक्स के गठन के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा. वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि देशभर में पैक्स को एक सफ़ल आंदोलन बनाने के लिए एक मॉडल क़ानून बनाया जा रहा है जिससे पैक्स का कामकाज पूरे देश में एक समान चल सकेगा. इस मॉडल कानून को जल्द ही राज्यों के साथ साझा किया जा सकेगा ताकि राज्य इसे लागू कर सकें. संविधान के मुताबिक सहकारिता का विषय राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है लिहाज़ा केंद्र सरकार सीधे तौर पर क़ानून नहीं बना सकती. 


 मंत्रालय सहकारिता क्षेत्र में लगातार बदलाव की तैयारी कर रहा


इस मॉडल कानून में पैक्स के कामकाज को और विस्तार दिए जाने का प्रावधान किया गया है. इनमें बैंक मित्र बनाने, कोल्ड स्टोरेज चलाने, सरकारी राशन की दुकान चलाने और कॉमन सर्विस सेंटर चलाने जैसे काम शामिल किए गए हैं. वर्तमान क़ानूनी प्रावधान पैक्स को ऐसे अन्य काम करने की इजाज़त नहीं देते हैं. पिछले साल ही सहकारिता विभाग को कृषि मंत्रालय से हटाकर एक नए मंत्रालय के तौर पर स्थापित किया गया और गृह मंत्री अमित शाह को इसका मंत्री बनाया गया तभी से मंत्रालय सहकारिता क्षेत्र में लगातार बदलाव और सुधार की तैयारी कर रहा.


इसी क्रम में मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी संशोधन क़ानून 2002 में भी बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक़ जल्द ही इसका मसौदा जारी किया जाएगा. कानून में बदलाव का उद्देश्य बड़े बड़े कोऑपरेटिव इकाइयों में आधुनिकीकरण और पारदर्शिता लाना है. ऐसी करीब 1300 इकाइयां देश में कार्यरत हैं जिनमें बड़ी संख्या महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में हैं. इसके अलावा सरकार राष्ट्रीय सहकारिता नीति और एक सहकारिता विश्वविद्यालय के गठन की भी योजना बना रही है. सहकारिता नीति में सहकारिता क्षेत्र में निवेश और इज ऑफ डूइंग बिजनेस से जुड़े विषय शामिल किए जाएंगे. 


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