ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के बाद, उसके इलाज में काम आनेवाली दवा की अचानक देश में किल्लत हो गई थी. ब्लैक फंगस से पीड़ित को औसतन एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की करीब 50-80 शीशियों की जरूरत होती है. अब, अन्य दवा कंपनियों के अलावा मध्य प्रदेश के इंदौर की एक लैब ने भारत में इंजेक्शन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इंदौर की मॉडर्न लैबरोट्रीज ने दवा बनाने का लाइसेंस हासिल कर लिया है और दावा है कि जल्द ही बाजार में उतारा जाएगा. 


72 घंटे में एंटी फंगल दवा बनाने की मिली इजाजत


मध्य प्रदेश की सरकार ने इंदौर की मॉडर्न लैबरोट्रीज को ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, येलो फंगस के इलाज में इस्तेमाल की जानेवाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी के निर्माण की इजाजत दे दी है. रविवार को मॉडर्न लैबरोट्रीज के चेयरमैन अनिल खारिया ने कहा "सरकार ने 72 घंटों के अंदर इजाजत दे दी है. अब, हम उत्पादन शुरू करेंगे और अगले 15 दिनों में बाजार में इंजेक्शन की आपूर्ति करने लगेंगे." उन्होंने ये भी जानकारी दी, "रोजाना 10,000 इंजेक्शन के निर्माण क्षमता के साथ हम काम करेंगे और हमारी प्राथमिकता पहले मध्य प्रदेश को देने की होगी और फिर बाकी अन्य राज्यों को. ये इंजेक्शन इमल्शन शक्ल में होंगे और बाजार में उसकी कीमत करीब 3 हजार रुपये के होगी, जबकि हम सरकार को 15 सौ रुपए की कीमत पर देंगे."


रोजाना 0,000 इंजेक्शन की निर्माण क्षमता- लैब


फिलहाल, मॉडर्न लैब एम्फोटेरिसिन-बी के विकल्प के तौर पर फंगल रोधी पोसाकोनाजोल दवा को बना रही है. ध्यान देनेवाली बात ये है कि संक्रमण के खिलाफ जैसे ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल किया जानेवाला एंटी फंगल इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी की कमी है. इस तरह के करीब पांच इंजेक्सन हर मरीज को रोजाना उसके संक्रमण और शरीर के वजन को देखते हुए लगाया जाा है. दवा की कमी के कारण इंदौर में बीमारी से मृतकों की संख्या भी बढ़ रही है. 


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