मेहुल चौकसी मामले ने कैरेबियन इलाके में सियासी तूफान का बवंडर भी खड़ा कर दिया है. इसको लेकर एंटीगुआ में सत्तारूढ़ लेबर पार्टी और विपक्षी यूनाइटेड प्रोग्रेसिव पार्टी के बीच तीखे आरोपों का दौर जारी है. वहीं डोमेनिका में विपक्ष के नेता लेनौक्स लिंटन ने प्रधानमंत्री रूजवेल्ट स्केरित की सरकार को आड़े हाथों लेते हुए मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. 


चौकसी मामले पर खुल कर बोल रहे प्रधानमंत्री गेस्टन ब्राउन ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी यूपीपी पार्टी अपने अगले चुनावी कैंपेन के लिए मेहुल से आर्थित लाभ लेने की कोशिश कर रही है. वहीं ब्राउन ने एंटीगुआ और डोमेनिका में चौकसी की पैरवी कर रहे वकीलों को भी राजनितिक संबंधों के चलते सवालों के घेरे में खड़ा किया है. 


मेहुल के मामले में प्रधानमंत्री गेस्टन ब्राउन ने विपक्षी पार्टी यूपीपी पर मेहुल चौकसी से आर्थिक लाभ लेने और राजनीतिक फायदे के लिए उसके इस्तेमाल के आरोप लगाए हैं. वहीं  यूपीपी ने बाकायदा बयान जारी कर रहा है कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ब्राउन और उनकी पार्टी की तरफ से लगाए जा रहे आरोप बेबुनियाद हैं. उसके नेताओं हेरॉल्ड लवॉल और जमाले प्रिंगल की न मेहुल से कोई मुलाकात हुई और न ही पार्टी ने उससे कोई लाभ लिया है. इतना ही नहीं यूपीपी पार्टी ने अपने बयान में कहा कि वो मेहुल चौकसी को आर्थिक अपराधी मानते हुए भारत वापस भेजे जाने के हक में है. मामले पर यूपीपी ने प्रधानमंत्री ब्राउन पर ही 2017 में मेहुल चौकसी से मुालाकातों और उनके कार्यकाल में उसे दी गई नागरिकता को लेकर सवाल उठाए हैं. 


हालांकि इन आरोपों का खंडन करते हुए एंटीगुवा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने मेहुल चौकसी के वकीलों को ही यूपीपी से संपर्कों को लेकर सवालों के घेरे में खड़ा किया है. ब्राउन ने एक रेडियो साक्षात्कार में कहा कि मेहुल चौकसी के एंटीगुवा में वकील जस्टिन सायमन क्यूसी का रिश्ता यूपीपी से है वहीं डोमेनिका में उसका वकील वेन मार्श का संबंध भी यूपीपी पार्टी से है. हालांकि इस बारे में उन्होंने अधिक कुछ नहीं बताया. मगर इतना कहा कि वो अधिकार के साथ यह बात कह रहे हैं. 


पीएम ब्राउन ने कहा कि मेहुल ने आरोप लगाया है उसे अपहरण कर डोमेनिका लाया गया है. लिहाजा एंटीगुआ सरकार भी इस मामले की जांच कर रही है कि आखिर किन हालात में मेहुल देश से बाहर गया. लेकिन यह आरोप कतई सही नहीं हैं कि उसके देश से बाहर जाने में सरकार की किसी एजेंसा का हाथ है. बल्कि हमें इस तरह के किसी प्लान की कोई जानकारी नहीं थी. यह कहना ही गलत है. यदि हमें मेहुल को बलपूर्वक बाहर भेजना होता तो हम किसी अपहरण प्लान की बजाए उसे अपनी जमीन पर भारत सरकार को पहुंचते. भारत सरकार सरकार को कहते, उनका जहाज आता.  यद्यपि ऐसी किसी योजना पर कभी कोई चर्चा नहीं हुई. 


एंटीगुआ सरकार ने यह भी साफ किया कि इस बारे में भारत सरकार से न तो कोई दबाव है और न ही कोई गैर-वाजिब प्रभाव डालने की कोशिश की जा रही है. बल्कि यह एंटीगुआ-बार्बुडा की एक कानून आधारित देश के नाते जवाबदारी है और अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही के चलते एक अपराधी के खिलाफ कार्रवाई कर रही है. 


इस बीच एंटीगुवा में विवाद चर रहा है तो डोमेनिका में भी विपक्ष प्रधानमंत्री स्केरित की सरकार के खिलाफ हमलावर है. विपक्षी यूडबल्यूपी के नेता लेनौक्स लिंटन ने सरकार पर चौकसी के मामले में अंतरराष्ट्रीय दबाव में काम करने और उसे अवैध तरीके से देश में घुसने देने के मामले को लेकर आरोप लगाए हैं. लिंटन ने इस पूरे मामले की जांच की भी मांग उठाई है.


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