युद्ध प्रभावित यूक्रेन से हाल ही में निकाले गए भारतीय मेडिकल छात्रों के देश में प्रवेश और पढ़ाई जारी रखने के मुद्दे पर निर्देश के अनुरोध को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में केंद्र को भारतीय पाठ्यक्रम में उन्हें प्रवेश देने के लिए एक चिकित्सा विषय समकक्षता उन्मुखीकरण कार्यक्रम प्रदान करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.


अधिवक्ता राणा संदीप बुसा और अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उनकी रिट याचिका अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त सबसे प्रमुख मौलिक अधिकार-जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लागू करने का प्रयास करती है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने और यूक्रेन से छात्रों की वापसी के बाद से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि यूक्रेन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों को घरेलू कॉलेजों में पढ़ाई जारी रखने की सुविधा दी जाए.


'शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है'


प्रवासी लीगल सेल की ओर से भी एक अर्जी दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष दायर की गई है, जिसमें केंद्र को इस संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने भारतीय छात्रों को स्वदेश वापस लाने में जबरदस्त काम किया है, लेकिन उन्हें शिक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है. इसमें कहा गया है कि सरकार को भारतीय चिकित्सा पाठ्यक्रम में विदेशी मेडिकल छात्रों को शामिल करने के लिए कदम उठाना होगा. 


याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग ने यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण विदेशी मेडिकल स्नातकों को भारत में अपनी इंटर्नशिप पूरी करने की अनुमति दी है, इसलिए इस पृष्ठभूमि में सरकार को इन मेडिकल छात्रों की दिक्कत पर विचार करना चाहिए.


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