Manoj Jarange Patil Protest: मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करते हुए 40 वर्षीय मनोज जारांगे पाटिल ने 2014 के बाद से कई आंदोलन किए हैं, जो ज्यादा चर्चा में नहीं रहे. उनके ज्यादातर प्रदर्शनों की गूंज जालना जिले से बाहर नहीं जा पाई. हाल में उनकी भूख हड़ताल ने महाराष्ट्र में हलचल मचा दी है. उनके आंदोलन के चलते राज्य के कुछ हिस्सों में हिंसा भड़क गई. बीते शुक्रवार (1 सितंबर) को पाटिल के समर्थकों और जालना पुलिस के बीच झड़प बाद मराठा समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है. 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के बीड जिले के रहने वाले हैं. आजीविका के लिए एक होटल में काम करने के लिए वह जालना के अंबाद में रहने लगे थे. शुरू में वह कांग्रेस के एक कार्यकर्ता थे, लेकिन बाद में मराठा समुदाय के सशक्तिकरण के लिए पार्टी से अलग होकर 'शिवबा संगठन' नामक खुद की संस्था बना ली. मराठा समुदाय के आरक्षण के प्रबल समर्थक पाटिल अक्सर उन प्रतिनिधिमंडलों के हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने आरक्षण की मांग के लिए राज्य के विभिन्न नेताओं से मुलाकात की है. 


सालभर पहले भी उठाई थी मराठा आरक्षण के लिए मांग


पिछले साल अगस्त में मराठा कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से समुदाय के आरक्षण की मांग उठाई थी. उस दौरान कार्यकर्ताओं की आवाज में पाटिल का एक वीडियो भी शामिल था. तब पाटिल की आवाज शिंदे तक नहीं पहुंच सकी. ठीक एक साल बाद सीएम शिंदे को पिछले हफ्ते पाटिल को फोन करने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे पाटिल से आंदोलन बंद करने का अनुरोध किया. पाटिल ने सीएम के अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया और जालना में सात अन्य कार्यकर्ताओं के साथ भूख हड़ताल पर बैठने का फैसला किया.


जालना में हिंसा भड़कने का कारण क्या है?


जालना में हिंसा उस दौरान भड़क उठी, जब बड़ी संख्या में पुलिस की एक टुकड़ी धरना स्थल पर पहुंची और कहा कि पाटिल की हालत बिगड़ रही है और उन्हें सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है. वहीं, पाटिल के समर्थकों ने जोर दिया कि वे प्राइवेट डॉक्टरों से उनकी जांच कराएंगे. आरोप है कि पुलिस जब पाटिल को जबरन हिरासत में लेने के लिए आगे बढ़ी तो हिंसा भड़क गई. मराठा कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को पीटने का आरोप लगाया.


मराठा कार्यकर्ताओं का शासन-प्रशासन पर आरोप


मराठा कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि 8 सितंबर को जालना में 'शासन आपल्या दारी' (शासन आपके द्वार) पहल के तहत महाराष्ट्र के शीर्ष कैबिनेट मंत्रियों के प्रस्तावित दौरे को देखते हुए आंदोलन को कुचलने का फैसला किया गया, क्योंकि सरकार नहीं चाहती थी कि ऐसे समय में विरोध प्रदर्शन हो. यही कारण है कि प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया.


पाटिल बोले- विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करेंगे


पुलिस मराठा आरक्षण की मांग में किए जाने वाले प्रदर्शन को खत्म करवाने में विफल रही है. इस बीच पाटिल प्रदर्शनकारियों के एक प्रमुख नेता बन गए हैं और एनसीपी प्रमुख शरद पवार समेत कई वरिष्ठ नेता उनसे मिल रहे हैं. पाटिल का कहना है कि जब तक मराठा आरक्षण की मांग पूरी नहीं होती वो अपना विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करेंगे.


सीएम शिंदे का मनोज जारांगे पाटिल को संदेश


इस बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा है कि वह मनोज जारांगे पाटिल से कहना चाहते हैं कि सरकार उनके साथ है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार आंदोलन करने वालों पर लाठीचार्ज करने का आदेश कैसे दे सकती है, लोगों के बीच गलत जानकारी फैलाई जा रही है.


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