Manipur Violence: हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति स्थापित करने की कोशिशें कामयाब नहीं हो पा रही हैं. सुरक्षाबलों की भारी तैनाती के बावजूद हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कूकी समुदाय की सुरक्षा की मांग को लेकर दाखिल एक याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है.


सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (20 जून) को मणिपुर ट्राइबल फोरम की ओर से दाखिल याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया. इस याचिका में कूकी समुदाय ने मांग की थी कि उनकी सुरक्षा के लिए भारतीय सेना को नियुक्त किया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 3 जुलाई निश्चित की है.


सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये साफतौर पर लॉ एंड ऑर्डर का मामला है. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि सुरक्षा एजेंसियां मणिपुर में मौजूद हैं और स्थिति पर नियंत्रण बनाने के लिए हरसंभव कोशिशें कर रही हैं. मणिपुर में मई की शुरुआत में जातीय हिंसा फैल गई थी.


मैतेई समुदाय को आदिवासी समुदाय का दर्जा दिए जाने की मांग पर कूकी समुदाय ने एक मार्च निकाला था, जिसके बाद शुरू हुई हिंसा अब तक नहीं थमी है. मणिपुर हिंसा में अब तक 110 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं हजारों लोगों को विस्थापन का शिकार होना पड़ा है. 


अहम बात ये है कि सुरक्षाबलों और सैन्यबलों की मौजदूगी के बावजूद इंफाल के आस-पास के इलाकों में हिंसा की घटनाएं सामने आ रही हैं. इस दौरान राज्य सरकार के साथ ही केंद्रीय मंत्री के घरों पर भी उग्रवादियों ने हमला कर आगजनी की है. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर पुलिस ने ऐसी 22 घटनाओं की एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें पुलिस ने अपने ऊपर हमला होने और हथियार लूटे जाने की बात कही गई है.


इस रिपोर्ट में स्थानीय नागरिकों का कहना है कि राज्य में पुलिस ही नहीं सुरक्षित है तो फिर आम लोगों की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.


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