Mangalyaan Runs Out of Fuel: पिछले आठ वर्षों से मंगल ग्रह (Mars) की कक्षा (Mars orbit) से महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध करा रहे भारत (India) के मंगलयान (Mangalyaan) का ईंधन (fuel) खत्म हो गया है और बैटरी भी खत्म हो गई है. इसी के साथ मंगलयान का वैज्ञानिकों (ISRO Scientists) से संपर्क टूट गया है. यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने दी है.


रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट की बैटरी सुरक्षित सीमा से ज्यादा वक्त तक चली. इसमें अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि मंगलयान को छह महीने की क्षमता के हिसाब से बनाया गया था, जिसने इसकी क्षमता से कहीं ज्यादा आठ वर्षों तक काम किया. उन्होंने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने अपना काम बखूबी किया और अहम वैज्ञानिक जानकारियां उपलब्ध कराईं. मंगल यान का ईंधन और बैटरी खत्म हो जाने को लेकर इसरो ने अब तक आधिकारिक बयान नहीं दिया है. वहीं, पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा है कि ईधन और बैटरी खत्म हो जाने की वजह से मंगलयान से संपर्क टूट गया है. 


इस वजह से खत्म हो गई मंगलयान की बैटरी


मंगलयान की बैटरी खत्म होने के पीछे मंगल ग्रह के ग्रहण को कारण बताया जा रहा है. यह भी जानकारी दी गई है कि यान को ग्रहण के प्रभाव से बचाने के लिए इसरो ने उसे नई कक्षा में ले जाने का प्रयास किया था लेकिन हाल के कुछ ग्रहणों की वजह से मार्स ऑर्बिटर की बैटरी खत्म हो गई. इनमें एक ग्रहण की अवधि साढ़े सात घंटे बताई गई. 


अधिकारियों के मुताबिक, मंगलयान की बैटरी को एक घंटे 40 मिनट तक की अवधि के ग्रहण के लिए डिजाइन किया गया था लेकिन साढ़े सात घंटे का ग्रहण लगने के कारण इसकी बैटरी पूरी तरह से खत्म हो गई. 


क्या मार्स ऑर्बिटर मिशन खत्म हो गया


मंगलयान से संपर्क खत्म होने के बाद ऐसी अटकलें हैं कि भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन समाप्त हो गया है. यह मंगलयान मिशन 2013 में शुरू किया गया था. इसकी लागत साढ़े चार सौ करोड़ रुपये आई थी. इसे मार्स ऑर्बिटर मिशन कहा गया था. पांच नवंबर 2013 को पीएसएलवी-सी25 के जरिये इसे प्रक्षेपित किया गया था. इसरो के वैज्ञानिकों ने इसे पहली ही कोशिश में 24 सितंबर 2014 को सफलतापूर्वक मंगल ग्रह की कक्षा में स्थापित कर दिया था.


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