Mandher Devi Stampede In 2005: आज के ठीक 18 साल पहले महाराष्ट्र के सतारा जिले में कुछ ऐसा हुआ था जिसे आज तक महाराष्ट्र की मानव त्रासदियों में से एक माना जाता है. दरअसल 25 जनवरी 2005 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के पास मंधेर देवी मंदिर में मची भगदड़ से 250 से अधिक तीर्थयात्रियों की मौत हो गई. 


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब यह हादसा हुआ तो लगभग 6 घंटे तक पुलिस -प्रशासन की तरफ से घायल, दबे लोगों को सहायता नहीं मिल सकी. पर्याप्त प्रबंधन नहीं होने की वजह से गंभीर रूप से घायल लोगों की भी मौत हो गई. 


क्या बोले चश्मदीद?
समाचार पत्रिका फ्रंटलाइन ने एक पीड़ित नबाबाई से बातचीत की. बातचीत में पीड़ित ने बताया कि उनको सामने वाले के सिर के अलावा कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था, लेकिन अचानक चीख-पुकार मच गई और भीड़ धक्का-मुक्की करने लगी. उन्होंने कहा कि मैंने बचने से कोशिश की लेकिन भीड़ एक लहर की तरह आई और जमीन फिसलन से भरी थी जिससे लोग गिर गिरने लगे.


उन्होंने कहा कि इस वजह से वह गिर गईं, उनके गिरने से उनके ऊपर लोग गिरने लगे, उनको सीने में एक तेज झटके का एहसास हुआ, और उनको लगा कि उनकी जान निकल जाएगी. वह कहती हैं कि वह सांस नहीं ले पा रहीं थी, और उनको लगा कि वह मर जाएंगी, लेकिन किसी तरह उनकी जान बच गई. हालांकि मारे गये 250 लोग नबाबाई की तरह भाग्यशाली नहीं थे. एक छोटे से लेकिन प्रमुख मंदिर में इस तरह की घटना काफी बेचैन और स्तब्ध कर देने वाली थी. 


हालांकि जब बाद में इसकी वजहों को पता किया गया तो पता चला कि अगर प्रशासन सतर्क होता तो इस घटना को टाला जा सकता था. समाचार पत्रिका फ्रंटलाइन ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मंदिर में इतनी भीड़ इसलिए इकट्ठा हो गई क्योंकि उस दिन मंगलवार और पूर्णिमा एक साथ पड़ गए जो हिंदु धर्मशास्त्र में एक दुर्लभ संयोग कहा जाता है. 


क्यों हुई थी भगदड़?
ड्यूटी में खड़े पुलिसकर्मियों ने बताया कि भगदड़ का सबसे पहला कारण जरूरत से ज्यादा भीड़ का आ जाना था, उन्होंने कहा कि मंदिर की चढ़ाई, संकरे प्रवेश द्वार, मंदिर परिसर का छोटा आकार इन वजहों से अचानक फैली अराजकता और धक्का-मुक्की से इतनी मौत हो गईं और कई लोग घायल हो गए. 


प्रभारी पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोपहर में जब उनको यह अहसास हुआ कि यहां पर लोगों का समूह तेजी से इकट्ठा हो रहा है तो उन्होंने और पुलिस फोर्स की मांग की, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. भीड़ और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई. 
 
'समय पर नहीं पहुंच सकी सहायता'
अधिकारियों ने बताया कि मंढ़ेर देवी का मंदिर 1200 मीटर की सीधी चढ़ाई पर स्थित था. पहाड़ी पर मची भगदड़ से वहां पर आग लग गई, हालांकि यह बात अभी भी रहस्य है कि आग लगने से भगदड़ मची या फिर भगदड़ मचने से आग लग गई. हालांकि भगदड़ मचने से पहाड़ी पर चढ़ रहे लोग एक दूसरे के ऊपर गिरते चले गए.


वहीं सूचना पर जो रेस्क्यू टीमें 200 किलोमीटर की दूरी तय करके जब तक घटनास्थल पर पहुंची और बचाव अभियान शुरू किया तब तक जितना नुकसान होना था, वह हो चुका था. इस हादसे में कुल 157 महिलाओं, 88 पुरुष, 5 लड़कों और एक लड़की की मौत हुई थी. 


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