Mahua Moitra: तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा को 'कैश फॉर क्वेरी' मामले में शुक्रवार (8 दिसंबर) को सदन की सदस्यता से निष्काषित कर दिया गया. संसद की एथिक्स कमेटी ने इस मामले में महुआ को निष्काषित करने की सिफारिश की थी. संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने निष्कासन प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनिमत से मंजूर किया गया. वहीं, विपक्ष ने महुआ की सांसदी जाने की तुलना लोकतंत्र की हत्या से कर दी है. महुआ ने भी खुद को बेकसूर बताया है. 


दरअसल, महुआ मोइत्रा पर आरोप था कि उन्होंने अपने पार्लियमेंट लॉगिन आईडी पासवर्ड बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी के साथ शेयर किए. उनके ऊपर ये भी आरोप था कि 2019-23 के बीच उनकी आईडी से 61 बार सवाल पूछे गए, जिन्हें महुआ ने नहीं, बल्कि हीरानंदानी ने पूछा था. इसके बदले हीरानंदानी ने महुआ को कैश, गिफ्ट्स और कई तरह की मदद पहुंचाई थी. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले की शिकायत की थी, जिसके बाद एथिक्स कमिटी ने जांच शुरू की. 


महुआ ने क्या कहा?


वहीं, महुआ ने सांसदी जाने के बाद कहा कि उन्हें निष्काषित करने का फैसला ‘कंगारू अदालत’ के जरिए दी जाने वाली फांसी की सजा की तरह है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने एथिक्स कमेटी को विपक्ष को झुकाने वाला हथियार बनाना शुरू कर दिया है. महुआ ने कहा कि उन्हें उस आचार संहिता का दोषी पाया गया है, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है. कैश या गिफ्ट के भी कोई सबूत नहीं हैं. ऐसे में अब सवाल उठता है कि सांसदी जाने के बाद महुआ के पास क्या ऑप्शन बचे हैं.


महुआ के पास क्या विकल्प बचे हैं? 


दरअसल, महुआ मोइत्रा के पास कुल मिलाकर पांच विकल्प बचे हुए हैं. लेकिन अभी ये साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि अगर वह इन विकल्पों का इस्तेमाल करेंगी, तो उन्हें राहत मिल ही जाएगी. ऐसे में आइए इन पांच विकल्पों के बारे में जानते हैं. 



  • टीएमसी नेता के पास पहला ऑप्शन है कि वह फैसले की समीक्षा के लिए संसद से गुजारिश करें. हालांकि, आखिरी फैसला सांसद का ही होगा कि वह इस पर विचार करना चाहता है या नहीं. 

  • महुआ मोइत्रा के पास दूसरा ऑप्शन है कि वह मौलिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट जाएं. वह इस मामले में केस करें और फिर अदालती फैसले की उम्मीद करें. 

  • महुआ के पास तीसरा ऑप्शन है कि वह संसद के निर्णय को स्वीकार करें और आगे बढ़ जाएं. लगभग चार महीने बाद एक बार फिर से चुनाव होने वाले हैं. वह चुनाव लड़ें और उसे जीतकर फिर से संसद में पहुंच जाएं. 

  • टीएमसी नेता अगर चाहें तो चौथे ऑप्शन के तौर पर एथिक्स कमेटी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दे सकती हैं. वह इस बात का तर्क दे सकती हैं कि एथिक्स कमेटी ने पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर उनके खिलाफ फैसला दिया. वह ये भी कह सकती हैं कि इस मामले को विशेषाधिकार समिति को देखना चाहिए. 

  • महुआ मोइत्रा पांचवें ऑप्शन के तौर पर दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे के जरिए राहत मांग सकती हैं. इसके लिए उन्हें अदालत में साबित करना होगा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से उनकी छवि खराब हुई है. इसके जरिए वह एथिक्स कमेटी के फैसला बदलने की उम्मीद कर सकती हैं. 


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