Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (MVA) के पहले की सरकार में मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मंत्री थे. इस दौरान झुग्गी बस्तियों के लिए आवंटित जमीन को निजी व्यक्तियों को देने संबंधी फैसले पर यथास्थिति बनाए रखने के बंबई हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर विपक्ष ने मुख्यमंत्री से इस्तीफे की मांग की है. विपक्ष ने विधानसभा परिसर में मंगलवार (20 दिसंबर) को हंगामा भी किया. इस बीच, सीएम शिंदे ने पहले की सरकार में शहरी विकास मंत्री के पद पर रहते हुए कोई भी गलत काम करने के आरोपों को खारिज कर दिया.


सीएम शिंदे ने विधानसभा में कहा कि जब एक अपीली प्राधिकारी के रूप में मामला उनके पास आया, तब उन्होंने विवादित जमीन की दर को कम करने या बढ़ाने के लिए कोई आदेश पारित नहीं किया और मौजूदा सरकारी नियमों के अनुसार कीमत वसूलने पर जोर दिया.


अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया
सीएम शिंदे ने कहा कि जब पिछले सप्ताह अदालत के आदेश को उनके संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने 20 अप्रैल, 2021 (जब वह एमवीए सरकार में शहरी विकास मंत्री थे) के अपने जमीन आवंटन आदेश को रद्द कर दिया. उन्होंने कहा, "मैंने शहरी विकास मंत्री के रूप में अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया. मैंने अदालत के किसी आदेश में भी हस्तक्षेप नहीं किया है."


शिवसेना के नेता और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने इस मामले को लेकर शिंदे से इस्तीफे देने की मांग की. उन्होंने इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि उनकी पार्टी इसे दोनों सदनों में उठाएगी. शिवसेना के नेता आदित्य ठाकरे ने भी इस मामले की जांच किए जाने की मांग की.


विपक्षी सदस्यों को मुद्दा दे दिया
कोर्ट के आदेश ने नागपुर में राज्य विधानमंडल के जारी शीतकालीन सत्र के दौरान शिंदे-बीजेपी सरकार को निशाना बनाने के लिए विपक्षी सदस्यों को एक मुद्दा दे दिया, लेकिन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने परिषद में सरकार का दृढ़ता से बचाव किया और मुख्यमंत्री की ओर से कोई भी गलत काम किए जाने से इनकार किया. बंबई हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में मंत्री रहने के दौरान शिंदे की ओर से झुग्गी निवासियों के लिए रखी गई भूमि को निजी व्यक्तियों को आवंटित करने के फैसले पर हाल में यथास्थिति का आदेश दिया है . 


निजी व्यक्तियों को देने का निर्देश दिया था
हाईकोर्ट की नागपुर पीठ को 14 दिसंबर को न्यायमित्र और वकिल आनंद परचुरे ने सूचित किया था कि शिंदे ने पहले की एमवीए सरकार में शहरी विकास मंत्री रहने के दौरान नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (NIT) को झुग्गीवासियों के लिए आवास योजना के वास्ते अधिग्रहित जमीन को 16 निजी व्यक्तियों को देने का निर्देश दिया था. इस फैसले के बाद विपक्षी एमवीए के सदस्यों ने राज्य सरकार के खिलाफ नागपुर में विधानमंडल परिसर में प्रदर्शन किया. उन्होंने शिंदे-बीजेपी सरकार पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री से इस्फीता देने की मांग की.


उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने विधान परिषद में कहा कि उनकी सरकार किसी को महंगे भूखंड कम दाम पर नहीं देती है. बहरहाल, झुग्गी बस्तियों की जमीन निजी व्यक्तियों को आवंटित किये जाने के मुद्दे पर विधानपरिषद में मंगलवार (20 दिसंबर) को विपक्ष और सत्ता पक्ष के सदस्यों के बीच वाद-विवाद के बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी .


बीजेपी के सदस्यों ने विरोध किया
जब सदन में नेता प्रतिपक्ष (LOP) अम्बादास दानवे इस मुद्दे पर बयान दे रहे थे, तब राज्य के संसदीय मामलों के मंत्री चंद्रकांत पाटिल और गठबंधन सरकार में शामिल बीजेपी के कई सदस्यों ने इसका विरोध किया और उच्च सदन की उपसभापति नीलम गोर्हे से आग्रह किया कि वह इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एलओपी को किसी अन्य दिन समय दें .


ऊपरी सदन की कार्यवाही सुबह जैसे ही शुरू हुई, उपसभापति गोर्हे ने प्रश्नकाल शुरू करने को कहा, लेकिन अम्बादास दानवे ने शिंदे की ओर से आवंटित जमीन का मुद्दा उठाया. दानवे ने कहा, "नागपुर सुधार न्यास ने झुग्गियों में रहने वालों के पुनर्वास के लिए साढ़े चार एकड़ भूखंड आरक्षित किया था." हालांकि, पूर्व शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने इस भूखंड के टुकड़ों को 16 निजी व्यक्तियों को डेढ़ करोड़ रुपये में आवंटित कर दिये थे, जबकि भूमि का मौजूदा मूल्य 83 करोड़ रुपये है.


विपक्षी नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया
विधान भवन स्थित कांग्रेस कार्यालय में एमवीए नेताओं की बैठक के बाद नागपुर में राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार (20 दिसंबर) को महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार, कांग्रेस नेता नाना पटोले, पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहेब थोराट, शिवसेना (यूबीटी) के विधायक आदित्य ठाकरे और अन्य नेताओं ने विरोध- प्रदर्शन किया. एमवीए के नेताओं ने शिंदे सरकार के भ्रष्ट होने को लेकर नारेबाजी की और मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की.


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