Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति शरद पवार के बयान के बाद अब देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के पोस्टर से गरमा गई है. पोस्टर पर मराठी में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है- 'देवेंद्र जी फडणवीस साहेब महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री'. ये पोस्टर जैसे ही लोगों की निगाह में आया तुरंत सवाल उठने लगे कि क्या देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के सीएम बनने वाले हैं? क्या एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने वाले हैं? अभी इस पर सियासी अटकलबाजी चल ही रही थी कि महा विकास अघाड़ी की तरफ से बड़ा दावा उछाल दिया गया.
एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने एकनाथ शिंदे, बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस को टैग करते हुए ट्वीट किया, "क्या ये भी सच है? खबर है कि एकनाथ शिंदे 3 दिन की छुट्टी पर चले गए हैं. सूत्र बताते हैं कि बीजेपी महाराष्ट्र की सरकार में फडणवीस और शिंदे के पदों की अदला-बदली करना चाहती है. इस बात से शिंदे अपसेट हैं और उन्होंने छुट्टी ले ली है."
महाराष्ट्र की राजनीति में मची हलचल
एनसीपी की तरफ से ये ट्वीट आया, "तो उद्धव की शिवसेना भी एक्टिव हो गई." वहीं उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे की लीडरशिप में काम करके देवेंद्र फडणवीस असहज महसूस कर रहे हैं. शिंदे की छुट्टी और फडणवीस को सीएम बनाने के एमवीए के दावों पर जवाब देने के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बवनकुले सामने आए, लेकिन इशारों-इशारों में मन की बात भी कह गए.
चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनना चाहिए, लेकिन आज की असलियत ये है कि आज सीएम एकनाथ शिंदे हैं. शिंदे साहब आज हमारे नेता हैं. शिंदे साहब कहीं छुट्टी पर नहीं गए हैं वो अपने परिवार के साथ अपने गांव गए हैं. फोन पर पूरी तरह उपलब्ध हैं.
क्या बीजेपी किसी प्लान बी पर कर रही काम?
बीजेपी भले ही सीएम शिंदे का बचाव कर रही हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा भी जोरों पर है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी भी वक्त आ सकता है. ऐसे वक्त सीएम का अचानक छुट्टी पर जाना क्या वाकई में सरकार की सेहत तंदुरुस्त है? या बीजेपी किसी प्लान बी पर भी काम कर रही है. क्या ये प्लान बी अजित पवार है? अजित पवार को बीजेपी का प्लान क्यों कहा जा रहा है, ये बात इस तरह समझिये- जुलाई 2022 में शिवसेना विधायकों की बगावत के बाद शिंदे ने बीजेपी के साथ सरकार बनाई.
इसके बाद विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्यता का नोटिस भेज दिया. शिंदे ने विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई पूरी कर चुका है और फैसला सुनाने वाला है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 16 मार्च को मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था. मुश्किल ये है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया तो बीजेपी एक बार फिर विपक्ष में पहुंच जाएगी. बीजेपी के विरोधियों का दावा है कि अगर ऐसे हालात बने तो बीजेपी 2019 की तरह एक बार फिर अजित पवार पर दांव लगा सकती है.
अजित पवार ने क्या कहा?
इस बीच अजित पवार का भी बयान सामने आया. उन्होंने मंगलवार (25 अप्रैल) को कहा कि वह अपने अंतिम क्षण तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में बने रहेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे बारे में कई तरह की अटकलें लगाई गईं और अफवाहें फैलाई गईं. बिना किसी कारण के मेरे चारों ओर संदेह का घेरा बना दिया गया, लेकिन किसी भी अफवाह में फंसे बिना मैं अपना काम जारी रखे हुए हूं. मुझे यकीन है कि आपके मन में भी कई सवाल होंगे.
उन्होंने कहा कि आप भी सोच रहे होंगे कि क्या मैं वही दोहराऊंगा जो मैंने सुबह 8 बजे किया था (परोक्ष तौर पर 2019 में सुबह-सुबह शपथ लेने की ओर इशारा करते हुए). हालांकि मैं आपको पहले ही बता चुका हूं कि मैं अपने आखिरी समय तक राकांपा में काम करता रहूंगा और मेरी पार्टी जो भी फैसला लेगी, मैं उससे सहमत हूं. गौरतलब है कि 23 नवंबर, 2019 को बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने क्रमशः मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, लेकिन सरकार कुछ ही दिनों में गिर गई थी.
मोदी है तो मुमकिन है- कांग्रेस
एनसीपी नेता अजित पवार भले ही बीजेपी के साथ जाने की खबरों का खंडन कर चुके हैं, लेकिन उन्हें सीएम बनाने की मांग करने वाले पोस्टर भी लगने लगे हैं. इसके अलावा एनसीपी चीफ शरद पवार महा विकास अघाड़ी के भविष्य पर सवाल उठाकर इन अटकलों को तेज कर चुके हैं. इस बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने भी अजित पवार के बीजेपी में जाने के पत्रकारों के सवाल पर कहा कि मोदी है तो मुमकिन है. महाराष्ट्र की सियासत में भले ही इस वक्त कयासों का दौर जारी हो, लेकिन कौन कहां रहेगा, कौन कहां जाएगा और किसके पास क्या पद होगा, ये सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले के बाद ही साफ हो पाएगा.
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