Maharashtra-Karnataka Border Dispute: कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बॉर्डर को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने इस संबंध में बड़ा स्टैंड लिया है. कर्नाटक विधानसभा की ओर से सर्वसम्मति से इस मसले पर एक प्रस्ताव पारित करने के कुछ दिनों बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी अपने राज्य के हितों की रक्षा करने का संकल्प लिया. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने आज मराठी विरोधी रुख की निंदा करते हुए राज्य विधानसभा में कर्नाटक के समान ही प्रस्ताव (Resolution) पेश किया. 


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के हस्तक्षेप के बावजूद बीजेपी की ओर से शासित दोनों राज्यों के बीच संघर्ष और बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि कर्नाटक में अगले साल चुनाव होने हैं.


महाराष्ट्र विधानसभा में प्रस्ताव पास


कर्नाटक से बॉर्डर विवाद को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार की ओर से लाए गए इस प्रस्ताव को महाराष्ट्र विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया. महाराष्ट्र के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने इसे उकसावे की कार्रवाई बताया है.


महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच कुछ गांवों को अपने राज्य में शामिल करने को लेकर लंबे वक्त से विवाद है. दोनों राज्यों में बेलगावी, खानापुर, निप्पानी, नंदगाड और कारवार की सीमा को लेकर मतभेद रहा है.


कर्नाटक-महाराष्ट्र बॉर्डर विवाद की बड़ी बातें


• महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार (27 दिसंबर) को मराठी विरोधी रुख की निंदा करते हुए राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया


• महाराष्ट्र के प्रस्ताव में कहा गया है कि 865 मराठी भाषी गांव हैं और इन गांवों का हर इंच महाराष्ट्र में शामिल किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए जो भी जरूरी होगा, महाराष्ट्र सरकार करेगी.


• दक्षिणी राज्य से सीमावर्ती इलाकों में रह रहे मराठी लोगों की सुरक्षा की गारंटी देने के लिए केंद्र से कहेंगे.


• एकनाथ शिंदे सरकार की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया है कि बेलगाम, कारवार, बीदर, निपानी, भाल्की के हर इंच जमीन सहित 865 गांव महाराष्ट्र का हिस्सा होंगे.


• कर्नाटक ने गुरुवार को सीमा को लेकर महाराष्ट्र सरकार की निंदा करते हुए सदन में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की ओर से पेश प्रस्ताव में कहा गया था कि सरकार राज्य के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.


• कर्नाटक सरकार ने अपने प्रस्ताव में कहा था कि कर्नाटक की भूमि, जल, भाषा के हित से संबंधित मामलों पर कोई समझौता नहीं करेगा. कर्नाटक के लोगों और विधानसभा के सदस्यों की भावनाएं अगर प्रभावित होती है तो हम सभी एकजुट होकर इसे लेने के लिए प्रतिबद्ध हैं. राज्य के हितों की रक्षा के लिए संवैधानिक और कानूनी उपाय भी करेंगे 


• उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार पर कर्नाटक के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाने का आरोप लगाते हुए हमला करती रही है.


• सीमा विवाद 1956 से चला आ रहा है, जब तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा को लेकर फिर से र्निर्धारण की मांग की थी.


• महाराष्ट्र बेलगावी (पूर्व बेलगाम), कारवार और निप्पानी सहित कर्नाटक को दिए गए 865 गांवों का दावा करता है और चाहता है कि इन्हें राज्य में मिला दिया जाए. वहीं, कर्नाटक इस दावे को खारिज करता रहा है.


• बेलागवी, जिसकी बड़ी आबादी मराठी भाषी है और मूल रूप से बॉम्बे प्रेसीडेंसी का एक हिस्सा था. कर्नाटक महाराष्ट्र के दक्षिण सोलापुर और अक्कलकोट क्षेत्रों पर भी अपना दावा करता है, जहां अच्छी खासी कन्नड़ भाषी आबादी है.


• इस विवाद में बेलगावी (Belagavi) सबसे अधिक चर्चा में रहता है. 7 दिसंबर को कर्नाटक के बेलगावी और महाराष्ट्र के पुणे में दोनों राज्यों की बसों पर पथराव किया गया था, जिसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दोनों राज्यों के सीएम के साथ बैठक भी की थी.


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