Maharashtra Governor Row: महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) के बयान से राज्य की सियासत गरमा गई है. विपक्ष में बैठी शिवसेना ( Shiv Sena), कांग्रेस और एनसीपी ने इस मुद्दे पर उन्हें जमकर घेरा और अब माफी मांगने की मांग की जा रही है. इस मामले को लेकर शिवसेना की युवा सेना आज प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करने जा रही है. वहीं आज पूरे राज्य में हस्ताक्षर मुहिम का आयोजन कर विधानसभा क्षेत्र में इसका विरोध किया जाएगा. इस दौरान शिवसेना नेता लोगों तक राज्यपाल के बयान को पहुंचाने की कोशिश करेंगे और उन्हें बताया जाएगा कि ये बयान महाराष्ट्र विरोधी था. 


क्या बोले थे राज्यपाल कोश्यारी
बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शुक्रवार 29 जुलाई की शाम एक कार्यक्रम में कहा कि, अगर मुंबई से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाए तो शहर के पास न तो पैसे रहेंगे और न ही वित्तीय राजधानी का तमगा. कोश्यारी के बयान के बाद कई राजनीतिक पार्टियों ने इस पर आपत्ति जताई और विवाद खड़ा हुआ. यहां तक कि कुछ बीजेपी नेताओं की तरफ से भी इस बयान पर नाराजगी जताई गई. 


बयान को लेकर बवाल के बाद राज्यपाल ने अपनी सफाई देते हुए कहा था कि, उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. उन्होंने साथ ही स्पष्ट किया कि उनकी मंशा महाराष्ट्र के विकास और प्रगति में कठोर परिश्रम करने वाले मराठी भाषी समुदाय के योगदान का अपमान करने की नहीं थी. लेकिन विपक्षी दलों का कहना है कि राज्यपाल को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. 


शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने बोला हमला
राज्यपाल के बयान के बाद विपक्षी दलों ने उन्हें चारों तरफ से घेरना शुरू कर दिया. नेताओं ने लगातार ट्वीट किए और मीडिया में बयान जारी हुए. खुद शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे मीडिया के सामने आए और उन्होंने राज्यपाल कोश्यारी से मुंबई के संबंध में की गई टिप्पणी पर माफी मांगने को कहा. उन्होंने कहा कि अब यह तय करने का समय आ गया है कि उन्हें घर वापस भेजा जाना चाहिए या जेल. ठाकरे ने राज्यपाल पर मुंबई और ठाणे में शांति से रह रहे हिंदुओं को बांटने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया. 


इस मामले को लेकर बीजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से कहा कि मराठी भाषी लोगों का महाराष्ट्र के विकास में अहम योगदान है. इस दौरान फडणवीस ने राज्यपाल कोश्यारी का बचाव नहीं किया. विरोध करने वालों की बात करें तो एनसीपी, कांग्रेस और यहां तक कि एमएनएस चीफ राज ठाकरे ने भी राज्यपाल के बयान का विरोध किया था. 


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