मुंबई: महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्यभर में जाति के नाम पर रखे गए रिहायशी इलाकों को बदलने का फरमान जारी किया है. महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का सीधा मतलब है कि राज्य में अब किसी भी रिहायशी इलाके का नाम किसी जाति विशेष के नाम पर नहीं होगा बल्कि गांव या इलाके का नाम महापुरुषों के नाम पर रखा जाएगा. दरअसल, महाराष्ट्र सरकार का मकसद समाज में जाति के नाम पर फैली विभाजन की खाई को खत्म करना है.


इस कारण सरकार ले लिया है फैसला


एकमत से पारित हुए कैबिनेट की तरफ से इस फैसले को मंजूर करने के पीछे महाराष्ट्र सरकार की मंशा है कि किसी इलाके को लोग किसी एक जाति विशेष या समाज विशेष के तौर पर ना पहचानें. कोई भी व्यक्ति किसी भी इलाके में जाने से पहले नाम सुनकर यह पुनर्भावना ना रखें कि उस इलाके में एक विशेष समाज या जाति के लोग रहते हैं.


ठाकरे सरकार के इस फैसले के मुताबिक अगर किसी इलाके का नाम किसी व्यक्ति के सरनेम या जाति के आधार पर है तो उस नाम को बदल दिया जाएगा. नाम बदलकर किसी महापुरुष के नाम पर होगा.


महाराष्ट्र विकास आघाडी के नेताओं के मुताबिक, यह बदलाव महाराष्ट्र विकास आघाडी के मार्गदर्शक नेता और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के सुझाव पर किया गया है. शरद पवार ने महाराष्ट्र सरकार में सामाजिक न्याय मंत्री धनंजय मुंडे को यह सुझाव दिया था. इस सुझाव के पीछे संकल्पना यह थी कि महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में कई जगहों के नाम किसी जाति या उपनाम पर आधारित हैं, जिसकी वजह से कोई व्यक्ति इलाके में पूर्वाग्रह उस जाति या समाज के प्रति पूर्वाग्रह लेकर जाता है और इससे सामाजिक दूरी बढ़ती है.


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