Online Gaming Ban: मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार (9 नवंबर) को 'तमिलनाडु प्रॉहिबिशन ऑफ ऑनलाइन गैंबलिंग एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेम्स एक्ट, 2022' के कुछ हिस्सों को बरकरार रखने का फैसला किया. हालांकि, अदालत ने ये फैसला भी सुनाया कि राज्य सरकार उन ऑनलाइन गेम्स पर बैन लगा सकती है, जिसमें जीत का फैसला किस्मत पर होता है. लेकिन वह रमी और पोकर जैसे उन गेम्स को बैन नहीं कर सकती है, जिसमें जीत स्किल के आधार पर मिलती है. 


दरअसल, ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन और कई अन्य ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने सरकार के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में कई सारी याचिकाएं दायर कीं. इन्हीं याचिकाओं पर चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला और जस्टिस पीडी ऑडिकेसवालु ने अपना आदेश दिया. दरअसल, ऑनलाइन गेम में पैसा लगाकर खेलने के बाद कर्ज में डूबने के कई सारे मामले सामने आए हैं. इसके बाद ही इस तरह के गेम्स पर बैन लगाने की बात होने लगी है. 


अदालत ने क्या कहा? 


सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, 'गेम्स एक्ट 2022 को पूरी तरह से खत्म करने की याचिकाओं को अस्वीकार किया जाता है. रमी और पोकर जैसे गेम्स को मगर एक्ट से अलग रखा जाता है.' अदालत ने पाया कि सरकार को ये जानने की जरूरत है कि ऑनलाइन गेम्स प्रोवाइडर्स अपने दायरे में रहकर काम कर रहे हैं. वो किस्मत के आधार पर जीत दिलाने वाले गेम्स को ऑपरेट करने में शामिल नहीं हैं. 


अदालत ने कहा, 'अगर सरकार को मालूम चलता है कि रमी और पोकर जैसे खेलों में बोट्स या किसी अन्य धोखाधड़ी वाले तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, तो वह एक्शन ले सकती है.' अदालत की तरफ से सरकार को ऑनलाइन गेम खेलने के लिए टाइम लिमिट, आयु प्रतिबंध के लिए नियम बनाने की आजादी भी मिली है. किस्मत से जीताने वाले गेम्स पर बैन लगाने की शक्ति देते हुए अदालत ने कहा कि स्किल वाले गेम्स पर बैन लगाने का राज्य सरकार के पास अधिकार नहीं है.


कोर्ट ने कहा, 'राज्य यह दिखाने में बुरी तरह विफल रहा है कि रमी और पोकर के ऑनलाइन गेम रमी और पोकर के ऑफलाइन गेम से अलग हैं. सरकार का कहना है कि उसे डर है कि गेम्स में बॉट्स का इस्तेमाल किया जा सकता है या सॉफ्टवेयर की मौजूदगी हो सकती है. मगर इसके लिए उसने कोई ठोस सबूत नहीं दिया है.' 


ऑनलाइन गैंबलिंग ऐप पर बैन


दरअसल, राज्य विधानसभा ने 19 अक्टूबर, 2022 को सर्वसम्मति से 'तमिलनाडु प्रॉहिबिशन ऑफ ऑनलाइन गैंबलिंग एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेम्स एक्ट, 2022' पारित किया था. पुलिस अधिकारियों का दावा था कि पिछले दो सालों में ऑनलाइन गैंबलिंग यानी जुआ खिलाने वाले ऑनलाइन ऐप की वजह से 44 लोगों ने आत्महत्या कर ली. जब इस एक्ट को हस्ताक्षर के लिए गवर्नर आरएन रवि के पास भेजा गया, तो उन्होंने 131 दिनों बाद इसे लौटा दिया. फिर विधानसभा में मार्च 2023 में इसे फिर से पारित किया और ये लागू हो गया. 


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