Madras High Court Stay: केंद्र सरकार ने 12 मार्च, 2024 को क्रूर और मानव जीवन के लिए खतरनाक कुत्तों के आयात, प्रजनन और बिक्री पर रोक लगा दी थी. इस पर मद्रास हाई कोर्ट ने अस्थाई रूप से स्टे लगा दिया है. जस्टिस अनीता सुमंत ने केनेल क्लब ऑफ इंडिया की ओर से दायर याचिका पर अंतरिम रोक लगाई है. इस याचिका में केंद्र सरकार के सर्कुलर को रद्द करने की मांग की गई थी.


लाइव लॉ के मुताबिक, 12 मार्च को भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विभाग ने एक सर्कुलर जारी करके कहा था कि मानव जीवन के लिए क्रूर और खतरनाक रूप में वर्गीकृत कुत्तों की कुछ नस्लों के आयात और बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश एक विशेष समिति ने की थी. सर्कुलर में आगे कहा गया कि जिन कुत्तों को पहले से ही पालतू जानवर के रूप में रखा गया था उनका आगे प्रजनन रोकने के लिए नसबंदी की जाएगी.


केनेल क्लब ऑफ इंडिया ने किया हाई कोर्ट का रुख


इस मामले को लेकर क्लब ने मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया और कहा कि सर्कुलर दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक जारी किया गया था. क्लब ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने साफतौर पर कहा था कि कोई भी कार्रवाई करने से पहले सभी हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए लेकिन प्रमुख हितधारक होने के नाते केनेल क्लब ऑफ इंडिया से इस बारे में परामर्श नहीं किया या फिर सुना नहीं गया.


क्लब ने दिया ये तर्क


केनेल क्लब ने तर्क दिया कि कुत्तों की खास नस्ल के क्रूर और मानव जीवन के लिए खतरनाक होने की पहचान करने के लिए गहन विशेषज्ञता की जरूरत होती है और ये देखना होता है कि कुत्तों को सही तरीके से ट्रेन्ड किया गया था या नहीं. क्लब ने कहा कि सर्कुलर पारित करते समय इस तरह की विशेषज्ञता का ध्यान नहीं रखा गया.


केनेल क्लब ने कहा कि सर्कुलर पूरी तरह से अवैध और गैरकानूनी था और न तो कानून और न तथ्यों पर टिकाऊ था. क्लब ने कहा कि देखभाल करने वाले और जिम्मेदार मालिकों वाला कुत्ता कभी भी क्रूर नहीं होता है और वह इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होता है.


क्लब ने तर्क दिया कि कुत्तों के हमले और हताहतों की संख्या ज्यादातर आवारा और जंगली कुत्तों के कारण होती है, न कि शुद्ध नस्ल के कुत्तों के कारण. यह दावा करते हुए कि कुत्तों की कुछ नस्लों पर प्रतिबंध लगाना अतार्किक और अवैध है क्लब ने सर्कुलर को रद्द करने की मांग की. जिस पर फिलहाल मद्रास हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया है.


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