Tamil Nadu News: मद्रास हाई कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार को बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ बनाए गए कानून और नीतियों को सख्ती से लागू करने को कहा. इसके साथ ही कहा कि शिक्षण संस्थानों में यौन उत्पीड़न के मामलों पर उचित तरीके से कार्रवाई नहीं की जा रही है. 


जस्टिस आर महादेवन और जे सत्य नारायण प्रसाद की बेंच ने शिक्षा विभाग को तमिलनाडु बाल अधिकार संरक्षण आयोग (टीएनसीपीसीआर) के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि स्कूलों को एक यौन-उत्पीड़न विरोधी नीति तैयार करनी चाहिए और उसकी एक कॉपी छात्रों और शिक्षकों को भी देनी चाहिए. 


स्कूल में एक रिपोर्टिंग और निवारण तंत्र होना चाहिए


उन्होंने आगे निर्देश देते हुए कहा कि हर स्कूल में एक रिपोर्टिंग और समस्या समाधान के लिए एक टीम होनी चाहिए और इसके बारे में छात्रों को बताना चाहिए. तमिलनाडु बाल अधिकार संरक्षण आयोग और स्कूल शिक्षा विभाग के प्रतिनिधियों के साथ एक नोडल एजेंसी का गठन किया जाना चाहिए, जो मोबाइल सलाह केंद्रों के संचालन की निगरानी करेगा.


सामाजिक कार्यकर्ता की याचिका पर हुई सुनवाई 


अदालत सामाजिक कार्यकर्ता वेरोनिका मैरी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने के लिए स्कूलों में मोबाइल सलाह केंद्रों के उचित कामकाज की मांग की गई थी. स्कूलों में बच्चों के खिलाफ हो रहे विभिन्न अपराधों की ओर ध्यान दिलाते हुए मैरी ने कहा कि इससे छात्रों में डर और बेचैनी की भावना पैदा हुई है. 


कोर्ट ने कहा कि छात्रों से संवाद और जागरूकता कार्यक्रम चलाने और शिक्षकों को मनोवैज्ञानिक सलाह देने के लिए मोबाइल सलाह केंद्र स्थापित किए गए थे. इस पहल को शुरू हुए एक दशक हो गया है, लेकिन कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है, जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा आरटीआई के माध्यम से प्राप्त जानकारी से स्पष्ट है. 


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