मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की खबरों के बीच कई राज्यों ने इस जहरीली दवा पर प्रतिबंध लगा दिया है. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने छह राज्यों में कफ सिरप और एंटीबायोटिक समेत 19 दवाओं की जांच शुरू की.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार (03 अक्टूबर, 2025) को कहा कि CDSCO की ओर से जांचे गए छह दवा के नमूने और मध्यप्रदेश खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एमपीएफडीए) की ओर से जांचे गए तीन नमूने डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) संदूषकों से मुक्त पाए गए, जो किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं.
नमूनों में डीईजी की मात्रा अधिक
जांच में पता चला कि यह सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम में बना था. मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार देर शाम हमारे साथ परिणाम साझा किए गए. नमूनों में डीईजी की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक थी. इसके बाद, तमिलनाडु सरकार ने कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और इसे बाजार से हटाने का आदेश दिया.
बढ़ती घटनाओं को लेकर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक परामर्श जारी कर निर्देश दिया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाइयां नहीं दी जाएं. स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले DGHS ने परामर्श में कहा कि आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कफ सिरप की सिफारिश नहीं की जाती है.
उत्तराखंड सरकार ने भी लिया एक्शन
मौत की खबरों के बीच उत्तराखंड सरकार ने शनिवार को प्रदेशभर में मेडिकल स्टोरों और थोक औषधि विक्रेताओं पर छापेमारी अभियान शुरू किया. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FDA) की संयुक्त टीमें प्रदेश के सभी जिलों में मेडिकल स्टोरों, थोक दवा विक्रेताओं और अस्पतालों की औषधि दुकानों पर छापेमारी कर रही हैं.
गुजरात सरकार ने जांच का दिया आदेश
वहीं इन घटनाओं को लेकर गुजरात सरकार भी एक्शन में आ गई है. गुजरात सरकार ने राज्य में बिक रही कफ सिरप में किसी हानिकारक तत्व की मौजूदगी का पता लगाने के लिए जांच का शनिवार को आदेश दिया. गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने बताया कि बच्चों की मौत से संबंधित खबरों पर गौर करते हुए राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने यह जानना चाहा कि क्या ये कफ सिरप जीएमएससीएल की ओर से खरीदे गए थे.
मंत्री ने कहा, 'यह पाया गया कि इनमें से कोई भी कंपनी हमारी खरीदार सूची में नहीं है. हालांकि, एहतियात के तौर पर, हमने यह पता लगाने के लिए जांच के आदेश दिए हैं कि गुजरात में वर्तमान में बिकने वाले सभी कफ सिरप में ये हानिकारक तत्व क्या मौजूद हैं.'
मध्यप्रदेश में भी 'कोल्ड्रिफ' सिरप प्रतिबंधित वहीं मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में सात सितंबर से संदिग्ध गुर्दा संक्रमण के कारण नौ बच्चों की मौत के बाद शनिवार को 'कोल्ड्रिफ' सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को 'X' पर कहा, 'छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ सिरप के कारण बच्चों की मौत बेहद दुखद है. इस सिरप की बिक्री पूरे मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित कर दी गई है. सिरप को बनाने वाली कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी प्रतिबंध लगाया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि यह सिरप कांचीपुरम की एक फैक्टरी में बनाया गया था और घटना के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने तमिलनाडु सरकार से जांच कराने का अनुरोध किया है. मुख्यमंत्री ने बताया कि जांच रिपोर्ट शनिवार सुबह प्राप्त हुई और कड़ी कार्रवाई की गई है. बच्चों की दुखद मौतों के बाद स्थानीय स्तर पर कार्रवाई जारी है. दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.
केरल में भी 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप की बिक्री पर रोक
इसके अलावा केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने शनिवार को कहा कि राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग ने राज्य में 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है. जॉर्ज ने कहा कि यह निर्णय अन्य राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के बाद लिया गया है, जिनमें 'कोल्ड्रिफ' सिरप के एक बैच में समस्या की बात कही गई थी.
मंत्री ने एक बयान में स्पष्ट किया कि राज्य औषधि नियंत्रण विभाग की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि दवा का चिह्नित बैच केरल में नहीं बेचा गया था. उन्होंने कहा, ‘सुरक्षा चिंताओं के कारण औषधि नियंत्रक ने औषधि निरीक्षकों को 'कोल्ड्रिफ' के वितरण और बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाने का निर्देश दिया है.'
कफ सिरप क्यों होता है जानलेवा? आईएनएस रिपोर्ट के मुताबिक, कफ सिरप से हुई मौतों को लेकर सर गंगा राम अस्पताल के बाल चिकित्सा आईसीयू सह-निदेशक डॉ. धीरेन गुप्ता ने इस मुद्दे पर विस्तार से बात की. उनका कहना है कि यह कोई नई समस्या नहीं है. भारत और अन्य देशों में पिछले कई सालों से कफ सिरप से मौतों के मामले सामने आते रहे हैं.
डॉ. गुप्ता के अनुसार, मुख्य समस्या यह है कि इंसानों के उपयोग के लिए जो फार्माकोलॉजिकल ग्रेड के इंग्रेडिएंट होते हैं, उनकी जगह अक्सर सस्ते और कम गुणवत्ता वाले इंडस्ट्रियल ग्रेड इंग्रेडिएंट्स का उपयोग किया जाता है. इससे सिरप में एथिलीन ग्लाइकॉल जैसा जहरीला तत्व मिल जाता है, जो किडनी को नुकसान पहुंचाता है और किडनी फेलियर का कारण बनता है, जिससे कई बार बच्चों की मौत भी हो जाती है.
तीन चरणों में बच्चों को पहुंचाता है नुकसान
डॉ. गुप्ता ने बताया कि कफ सिरप तीन चरणों में बच्चे को नुकसान पहुंचाता है. पहले सिरप पीने के बाद उल्टी, पेट दर्द और दस्त जैसी समस्याएं होती हैं. दूसरे चरण में किडनी में क्रिस्टल बन जाते हैं, जिससे किडनी फेलियर हो जाता है. तीसरे चरण में दिमाग पर असर होता है. यह प्रक्रिया बेहद घातक होती है.
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