संसद के शीतकालीन सत्र के नौवें दिन मंगलवार (9 दिसंबर, 2025) को लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से वामपंथी उग्रवाद को लेकर सवाल पूछा गया. सवाल में पूछा गया कि वर्तमान में वामपंथी उग्रवाद की स्थिति क्या है? और जो नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, उनके पुनर्वास को लेकर सरकार की क्या योजना है?

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इस सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा, 'माओवादी न तो भारत के संविधान में विश्वास रखते हैं और न ही लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनका भरोसा है. इन उग्रवादियों ने कई सालों में हजारों निर्दोष नागरिकों की हत्या की, बच्चों को अनाथ किया और महिलाओं का सुहाग उजाड़ा.' सरकार के मुताबिक, सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई से उग्रवादी संगठनों की क्षमता काफी कमजोर हुई है और बड़ी संख्या में कैडर आत्मसमर्पण कर रहे हैं.

गृह मंत्रालय ने लोकसभा में दी जानकारी

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नक्सलियों के सरेंडर करने के बाद पुनर्वास योजना के सवाल पर जवाब देते हुए नित्यानंद राय ने कहा, 'जून 2019 से अब तक 29 शीर्ष नक्सली लीडर मारे गए हैं, जिनमें से 14 सिर्फ इस वर्ष (2025) में मारे गए. वहीं, 2019 से अब तक 1,106 उग्रवादी ढेर हुए, 7,311 गिरफ्तार और 5,571 ने आत्मसमर्पण किया है.' सरकार का दावा है कि सुरक्षा बलों से मुकाबला करने की उग्रवादियों की क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी है और यही कारण है कि वे बड़ी संख्या में हथियार छोड़ रहे हैं.

मुख्यधारा में लौटने वाले नक्सलियों के लिए सरकार ने बनाया सहायता पैकेज

केंद्र सरकार ने सरेंडर कर मुख्यधारा में लौटने वाले नक्सलियों के लिए वित्तीय सहायता का पैकेज भी तैयार किया है. इसके तहत,• उच्च कैडर वाले नक्सलियों को 5 लाख रुपये• अन्य कैडर के नक्सलियों को 2.5 लाख रुपये• हथियार के साथ सरेंडर पर अतिरिक्त राशि• प्रशिक्षण के दौरान 3 साल तक 10,000 रुपये मासिक वजीफा

इसके अलावा, राज्यों की पुनर्वास नीतियों के तहत बच्चों को शिक्षा सुविधा, घायल/दिव्यांगों को राहत और महिलाओं को आजीविका सहायता दी जा रही है. गृह मंत्रालय के अनुसार, केवल इसी वर्ष 2,167 माओवादी मुख्यधारा में लौटे हैं.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर साधा निशाना

लोकसभा में सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री  ने पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे सालों तक इसे राज्य का विषय मानती रहीं, इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई. मोदी सरकार ने 2015 में ‘Whole of Government’ अप्रोच अपनाते हुए सुरक्षा और विकास दोनों मोर्चों पर एकीकृत रणनीति लागू की.

केंद्र सरकार ने नक्सलवाद उन्मूलन के लिए उठाए प्रभावी कदम

केंद्र सरकार की ओर से नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए जो प्रभावी कदम उठाए गए, उनमें, 

• प्रभावित राज्यों में 574 CAPF कंपनियां तैनात• सुरक्षा व्यय, विशेष अवसंरचना व सहायता योजनाओं में हजारों करोड़ रुपये की मंजूरी• 706 किलेबंद पुलिस स्टेशन• CRPF की बस्तरिया बटालियन का गठन• 17,573 किमी सड़क निर्माण, 85% कार्य पूरा• 10,651 मोबाइल टावर, 46 ITI, 49 कौशल केंद्र• 11 केंद्रीय विद्यालय, 6 नवोदय विद्यालय, 258 एकलव्य विद्यालय• 6,025 डाकघर, 1,804 बैंक शाखाएं, 1,321 ATM स्थापना शामिल हैं.

इसके अलावा, हिंसा में गिरावट की बात की जाए, तो सरकार के अनुसार साल 2010 की तुलना में 2024 में वामपंथी हिंसा 81% घट गई.

जून 2004-मई 2014 बनाम जून 2015-मई 2025• हिंसक घटनाओं में 56% कमी• नागरिक मौतों में 70% कमी• सुरक्षा बलों की मौत में 75% कमी• कुल मौतों में 71% कमीजून–नवंबर 2025 में केवल 110 घटनाएं और 44 मौतें दर्ज की गईं.

साल 2014 से 2025 के बीच• प्रभावित राज्य: 10 से घटकर 5 हुए• प्रभावित जिले: 126 से घटकर 11 हुए• प्रभावित थाने: 465 से घटकर 106 हुएसरकार के अनुसार, 2014 से अब तक 9,588 माओवादी हथियार छोड़ चुके हैं, जिनमें 2,167 इस साल आत्मसमर्पण करने वालों की संख्या है.