नई दिल्लीः संसद का बजट सत्र चल रहा है और कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा चल रही है. आज लोकसभा में विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन बिल यानी UAPA बिल पास हो गया है. लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की मांग की और इस मांग के साथ कांग्रेस ने लोकसभा में वॉकआउट किया. बिल पर विपक्ष ने डिवीजन ऑफ वोट की मांग की जिसके बाद वोटिंग के जरिए इस बिल को पास किया गया. बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े और बिल के विरोध में 8 वोट पड़े. इसके बाद सदन ने कुछ सदस्यों के संशोधनों को अस्वीकार करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी.
आतंकवाद और टेरर फंडिंग के खिलाफ एक कदम और बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने यूएपीए संशोधन बिल को लोकसभा में पास तो करा लिया है परअब सबकी नजर राज्यसभा पर होगी जहां कल इस बिल को पास कराने की सरकार के सामने कड़ी चुनौती होगी. अगर ये बिल राज्यसभा में भी पास हो जाता है तो टेरर फंडिंग करने वाले संगठन के साथ साथ व्यक्तियों पर भी सीधी कार्रवाई की जा सकेगी. गृहमंत्री अमित शाह के मुताबिक ये आतंक के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा कदम है. अब गृहमंत्री अमित शाह के सामने इस बिल को कल राज्यसभा में पास कराने की चुनौती होगी. 2004 में यूपीए सरकार के दौरान लाया गया था UAPA बिल गौरतलब है कि यूएपीए बिल 2004 में यूपीए सरकार के दौरान लाया गया था. 2004 में पोटा कानून को खत्म करके यूएपीए बिल लाया गया था. मुम्बई टेरर अटैक के चलते 2008 में पहली बार इस कानून में संशोधन किया गया. लेकिन तब भी बीजेपी का मानना था कि यूएपीए कानून आतंकवाद को काबू करने में समर्थ नहीं है. 2013 में इस कानून में फिर से संशोधन किया गया और मनी लांड्रिंग को रोकने के लिए कानून में बदलाव किए गए क्योंकि भारत सरकार ने 2010 में यूएन में फाइनेंशियल एक्सेस टॉस्क फोर्स (एफएटीएफ ) समझौते पर साइन किया था. इसके तहत मनी लांड्रिंग के खिलाफ सीधी कार्रवाई की जा सकेगी. यूपीए के दौरान से लागू मौजूदा UAPA कानून में इस सरकार ने तीन महत्वपूर्ण बदलाव के लिए संशोधन विधेयक पेश किया अब तक 1- अब तक केवल आतंकवादी संगठन को बैन करने का प्रावधान था. लेकिन किसी व्यक्ति को बैन करने का प्रावधान नहीं था. 2- डीजी एनआईए आतंकवादी संगठनों अथवा आतंकियों से सम्बंधित जो प्रॉपर्टी होती थी उनको अटैच करने का अधिकार नहीं रखता था. वो अधिकार केवल राज्य के डीजी होता था. एनआईए को राज्य पुलिस के समक्ष केवल रिकवेस्ट करते थे. 3- तीसरा अभी तक जितने भी मामले आतंकवादियों से संबंधित होते हैं उन सब की इन्वेस्टिगेशन का अधिकार एक डीएसपी स्तर के अधिकारी को है. सरकार का संशोधन 1- गृह मंत्रालय की ओर से पेश किए गए संशोधन विधेयक के अनुसार अब यूएपीए कानून के तहत आतंकवादी संगठन के साथ-साथ आतंकवाद में शामिल व्यक्तियों पर भी बैन का अधिकार होगा. 2- आतंकवाद में शामिल संगठन अथवा व्यक्ति की संपत्ति को अटैच करने का अधिकार डीजी एनआईए को होगा. 3- आतंकवाद में शामिल व्यक्तियों और मामलों की जांच का अधिकार एनआईए के इंस्पेक्टर को भी होगा.आज जब गृहमंत्री अमित शाह गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम विधेयक 2019 बिल यानी Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act Bill पर जवाब दे रहे थे तो एक बार फिर ओवैसी ने अमित शाह के बोलने के दौरान टोकाटोकी की. इस पर अमित शाह ने कहा ओवैसी दोहरा मापदंड अपना रहे हैं. अमित शाह ने ओवैसी से कहा कि कल से अब तक पूरी चर्चा हुई है. लेकिन आपके वोट करने से यदि आपका वोट बैंक खराब हो रहा है और इसलिए आप वोट नहीं करना चाहते , तो कुछ नहीं किया जा सकता है. कुछ दिन पहले भी संसद में एनआईए संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बीच जोरदार नोंकझोंक हुई थी.
विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि हम विपक्ष में थे तब भी कहते थे कि आतंकवाद के खिलाफ कठोर कानून होना चाहिए. हम जो ये कानून लेकर आये हैं वो हमारे एजेंसियों को आतंकी और आतंक से 4 कदम आगे ले जाने का काम करेंगे. गृहमंत्री ने कहा कि सरकार का प्राथमिक फर्ज है कि आतंकवाद को समूल नष्ट किया जाए. आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहने वालों को आतंकवादी घोषित किए जाने के प्रावधान की बहुत जरूरत है. पाकिस्तान तक में इसका प्रावधान है. व्यक्ति के मन में आतंकवाद है तो सिर्फ संस्था पर प्रतिबंध लगाने से नहीं होगा.
लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए देश में कठोर से कठोर कानून की जरूरत है और अर्बन माओइज्म के लिए जो काम कर रहे हैं, उनके प्रति जरा भी संवेदना नहीं है. एनआईए का अधिकार पूरे देश में है, राज्यों के एसपी के अधिकार के साथ इस कानून में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है. किसी की संपत्ति को केवल अटैच करने का अधिकार होगा न कि कुर्क करने का, कुर्क करने का अधिकार कोर्ट का है.
यूएपीए कानून में संशोधन देश की सुरक्षा में लगी जांच एजेंसी को मजबूती प्रदान करने के साथ 'आतंकवादियों से हमारी एजेंसियों को चार कदम आगे' रखने का प्रयास है. गृह मंत्री ने कहा कि यह संशोधन कानून केवल आतंकवाद को खत्म करने के लिये है और इसका हम कभी भी दुरूपयोग नहीं करेंगे और करना भी नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि 'वैचारिक आंदोलन का चोला पहन' कर जो लोग माओवाद को फैला रहे हैं, उनके प्रति हमारे मन में कोई संवेदना नहीं है. इन्हें रोका जाना चाहिए. अनपढ़, गरीब लोगों को वैचारिक आंदोलन की आड़ में गुमराह करके अपना उल्लू सीधा करने वाले ऐसे लोगों को नहीं छोड़ा जा सकता है.'
कांग्रेस के मनीष तिवारी सहित कुछ विपक्षी दलों के सवालों के संदर्भ में अमित शाह ने कहा, 'आप पूछते हैं आतंकवाद के खिलाफ कठोर कानून क्यों बना रहे हैं? मैं कहता हूं आतंकवाद के खिलाफ कठोर से कठोर कानून होना चाहिए. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सरकार लड़ती है, कौन-सी पार्टी उस समय सत्ता में हैं उससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए.' उन्होंने कहा कि विपक्ष को मुद्दे उठाने हैं तो उठाएं लेकिन ये कह कर नहीं उठाने चाहिए कि ये हम लेकर आए, वो ये लेकर आए.
यूएपीए कानून में संशोधन के संदर्भ में सहकारी संघवाद को ठेस पहुंचने के कुछ सदस्यों की टिप्पणी पर गृह मंत्री ने कहा कि यूएपीए कानून हम लेकर नहीं आए . सबसे पहले इस संबंध में कानून 1967 में कांग्रेस के समय में आया और इसके बाद तीन बार संशोधन कांग्रेस नीत सरकार के दौरान आया. ऐसे में संघीय ढांचे को कोई ठेस पहुंची है तो इसका कारण कांग्रेस एवं यूपीए के समय लाये कानून के कारण है.
उन्होंने कहा कि फिर भी उनका मानना है कि यह कानून उस समय लाना सही था और आज जो हम ले कर आये हैं, वह भी सही है. संशोधन विधेयक में आतंकी कार्यो के लिप्त व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के प्रावधान का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि आतंकवाद बंदूक से पैदा नहीं होता. आतंकवाद उन्माद फैलाने वाले प्रचार से पैदा होता है. उन्होंने इस दौरान आतंकी मौलाना मसूद अहजर और यासिन भटकल का भी जिक्र किया और कहा कि ये बार बार संगठन का नाम बदल रहे थे और कानून से बच रहे थे. शाह ने कहा कि 'आतंकवाद व्यक्ति की मंशा में होता है, संस्थाएं तो व्यक्तियों का संगठन होता है' सरकार की प्राथमिकता आतंकवाद को समूल नष्ट करने की है. उन्होंने यह भी कहा, 'जो आतंकवाद करेगा, पुलिस उसके कम्प्यूटर में घुसेगी ही .'
क्या है गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम एक भारतीय कानून है जिसका उद्देश्य भारत में गैरकानूनी गतिविधियों संघों की प्रभावी रोकथाम है. इसका मुख्य उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ निर्देशित गतिविधियों से निपटने के लिए शक्तियों को उपलब्ध कराना था.
विधि विरूद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक 2019 में कहा गया है कि एनआईए के महानिदेशक को संपत्ति की कुर्की का तब अनुमोदन मंजूर करने के लिये सशक्त बनाना है जब मामले की जांच उक्त एजेंसी द्वारा की जाती है. इसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार को प्रस्तावित चौथी अनुसूची से किसी आतंकवादी विशेष का नाम जोड़ने या हटाने के लिये और उससे संबंधित अन्य परिणामिक संशोधनों के लिये सशक्त बनाने हेतु अधिनियम की धारा 35 का संशोधन करना है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी के निरीक्षक के दर्जे के किसी अधिकारी को अध्याय 4 और अध्याय 6 के अधीन अपराधों का अन्वेषण करने के लिये सशक्त बनाया गया है.