नई दिल्ली: कांग्रेस, वामदलों और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के वॉकआउट के बीच लोकसभा ने 2019- 20 के अंतरिम बजट को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. इस दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल कांग्रेस पार्टी पर जमकर बरसे. पीयूष गोयल ने कहा कि कांग्रेस ने देश में गरीबी हटाओ का नारा दिया लेकिन इसके बावजूद आज भी देश में गरीबों की मदद के लिये मनरेगा जैसी योजनाओं जारी रखना पड़ रहा है. अब यह साफ हो चुका है कि इन पार्टियों ने देश के साथ छल किया है और इसके लिये जनता उन्हें माफ नहीं करेगी.
पीयूष गोयल ने कहा कि मोदी सरकार ने बेइमानों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. इसकी वजह से वे (विपक्ष) दुखी हैं. सरकार बेइमानों के खिलाफ कड़े कदम उठा रही है जबकि प्रीमियम पर वास्तविक धन देश में लाने वाले ईमानदार निवेशकों को किसी तरह से परेशान नहीं किया जायेगा.’’ गोयल ने एंजल कर का जिक्र करते हुये यह बात कही. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन काल में अनेक मुखौटा कंपनियों को प्रोत्साहन दिया गया और इस सरकार ने ऐसे पूरे तंत्र को समाप्त किया है.
पीयूष गोयल ने आगे कहा कि एनडीए की सरकार किसानों, गरीब और मध्यमवर्ग के कल्याण के लिये प्रतिबद्ध है. गोयल ने कहा कि कर बचत वाले योजनाओं में निवेश करने पर 8- 9 लाख रुपये सालाना की कमाई करने वाले आम मध्यम वर्ग को कोई कर नहीं देना पड़ेगा.
असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिये तीन हजार रुपये मासिक पेंशन की घोषणा पर गोयल ने कहा कि जीवन बीमा निगम योजना तैयार कर रहा है और इसे 15 फरवरी से शुरू कर दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस मोदी सरकार के कार्यकाल में किये गये कामों और तेज वृद्धि को लेकर चिंतित है. यही वजह है कि बजट चर्चा के दौरान विपक्ष कोई भी बुनियादी मुद्दा नहीं उठा सका.
राजकोषीय घाटे के बारे में गोयल ने कहा कि वह मामूली 5,000 करोड़ रुपये का खर्च कम करके घाटे को 3.3 प्रतिशत पर रख सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें पूरी ईमानदारी के साथ आंकड़े रखने को कहा. इसी प्रकार अगले वित्त वर्ष के बजट में भी 1,500 करोड़ रुपये का समायोजन कर राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत पर रखा जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
अंतरिम बजट में 2019- 20 के लिये राजकोषीय घाटा 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा गया है. जबकि चालू वित्त वर्ष के बजट अनुमान को 3.3 प्रतिशत से संशोधित कर 3.4 प्रतिशत किया गया है.
गोयल ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में राज्यों को लगातार वित्तीय समर्थन बढ़ाया गया है. कांग्रेस शासन के 2009- 2014 के कार्यकाल में केन्द्र से राज्यों को 12.50 लाख करोड़ रुपये का अंतरण किया गया जबकि मोदी सरकार के पांच साल में यह राशि ढाई गुणा बढ़कर 28.86 लाख करोड़ रुपये हो गई. 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद राज्यों को 33 लाख करोड़ रुपये जारी किये गये.
पीयूष गोयल ने कहा कि महंगाई का मामला हो, विदेशी कर्ज का मुद्दा हो या फिर कर्ज सस्ता करने की बात हो मोदी सरकार के कार्यकाल में सभी मोर्चों पर बेहतर काम किया गया. कांग्रेस नीत सरकार के समय महंगाई 12 प्रतिशत तक पहुंच गई थी जबकि मोदी सरकार के कार्यकाल में दिसंबर 2019 में यह 2.19 प्रतिशत पर आ गई. वाजपेयी सरकार में देश का विदेशी कर्ज 105 अरब डालर था जो कि उसके बाद कांग्रेस के दस साल के कार्यकाल में 446 अरब डालर तक पहुंच गया. मोदी सरकार के दौरान इसमें मात्र 14 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई। ब्याज दरों में भी कमी आई है.