Asaduddin Owaisi On Voting: हैदराबाद से सांसद और एआइएमआइएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने लोगों से अधिकारों के लिए वोट करने की अपील की है. शुक्रवार 19 अप्रैल को उन्होंने कहा, "2004 में मैं पहली बार हैदराबाद का सांसद बना. मैंने संसद के अंदर जो कहा और जो सवाल किए, अगर हिन्दुस्तान की हुकूमत ने ऐसा कानून बनाया जो भारत के आईन (संविधान) के खिलाफ थी तो मैंने उसका विरोध किया. चाहे मनमोहन सिंह की सरकार हो या मौजूदा नरेंद्र मोदी की सरकार हो."


अधिक से अधिक संख्या में मतदान की अपील करते हुए एआईएमआईएम चीफ बोले कि अगर आप वोट का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो आप पसंद और नापसंद का इजहार नहीं कर सकते. अगर आप मजलिस को चाहते हैं और मजलिस को सियासी आवाज समझते हैं. अगर आप निकल कर वोट नहीं डालेंगे तो मुझे ये कहना पड़ेगा कि आप उन ताकतों का समर्थन करते हैं जो बुलडोजर के जरिए गरीबों का घर गिराते हैं. आप मजलिस को चाहते हुए भी मजलिस को वोट नहीं करते हैं तो इसका मतलब आप उनका समर्थन करते हैं जो इबादतगाहों (मस्जिदों के संदर्भ में) को छीनना चाहते हैं. आप उन ताकतों का समर्थन करते हैं जो यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करके हमको हमारे तौर-तरीकों (जैसे शादी) को रोकना चाहते हैं.


"अगर वोट नहीं करेंगे तो NRC-NPR का होंगे शिकार"


असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम समुदाय को चेताया और कहा कि अगर आप वोट का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो आप अपने आप को ही नहीं, बल्कि पूरे मुल्क गरीबों को, दलितों को, सीएए और एनपीआर, एनआरसी के कानून का शिकार बनाएंगे. अगर आप वोट का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो आपके मन में मुख्तार अंसारी की मौत का गम नहीं है. 


बीजेपी की माधवी लता के बारे में क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी?


हैदराबाद से बीजेपी उम्मीदवार माधवी लता पर इशारे-इशारे में हमला बोलते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "आप देख रहे हैं कि बीजेपी की उम्मीदवार (माधवी लता) मस्जिद की तरफ रुख करके इस तरफ से इशारा कर रही हैं कि वो इस पर तीर मारेंगे. अगर ऐहसास है, उस इबादतगाह के लिए, अगर तकलीफ है, कम से कम मजलिस के लिए नहीं तो कम से कम उस इबादतगाह के लिए निकल कर मजलिस के लिए वोट करो. अगर आज भी तुम सोते रहोगे तो कब उठोगे. तीर मारने का इमैजिनरी (काल्पनिक) तरीका वो किसी इबादतगाह के ऊपर नहीं था बल्कि वह हैदराबाद के अमन पर था. हैदराबाद के अमन को खत्म करने के लक्षण दिख रहे थे. वो वीडियो जिसे दुनियाभर ने देखा, वह हैदराबाद में हिन्दु-मुसलमानों के अमन को कमजोर करने के लिए किया गया था.


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