Assam News: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में अवैध निर्माण से जुड़ी गतिविधियों को लेकर असम सरकार से जवाब मांगा है. एनजीटी ने असम के मुख्य सचिव से उन अधिकारियों का विवरण देने को कहा है, जिन्होंने वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन करते हुए वन्यजीव अभयारण्य में मतदान केंद्रों, स्कूलों और अन्य निर्माण गतिविधियों को अनुमति दी.


द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, एनजीटी में दायर राज्य सरकार के एक हलफनामे से पता चला है कि असम में एक वन्यजीव अभयारण्य और पास के वन अभ्यारण्य के अंदर कई स्कूल, 5 किमी लंबी सड़क, चाय बागान, कुएं और मतदान केंद्र बनाए गए हैं. ये गतिविधियां ढेकियाजुली, रंगपारा और सूतिया क्षेत्र में की गई हैं.


आदेश में क्या कहा?


न्यायिक सदस्य अरुण कुमार वर्मा, न्यायमूर्ति बी अमित स्टालेकर और न्यायमूर्ति बी अमित स्टालेकर ने 2 मई को पारित एनजीटी के आदेश में कहा कि हलफनामे में प्रमुख मुख्‍य वन संरक्षक की निष्क्रियता को भी स्पष्ट किया जाना चाहिए, जिनकी नाक के नीचे 2017 से ऐसी अवैध गतिविधियों को चलने की अनुमति दी गई थी. 


हलफनामे में सरकार ने क्या बताया


असम सरकार ने अपने हलफनामे कहा था कि चारदुआर रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर कई स्कूल गैर-वन गतिविधियों में शामिल थे. हलफनामे में कहा गया कि राज्य सिंचाई विभाग ने नियमों का उल्लंघन कर सीआरएफ के अंदर सिलोनी नदी पर स्लुइस गेट का निर्माण किया है, साथ ही एक व्यक्ति ने उसी आरक्षित वन के अंदर एक चाय बागान भी शुरू किया है.


19 अप्रैल में हुआ मतदान


रिपोर्ट के मुताबिक, वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का आधिकारिक क्षेत्र 220 वर्ग किमी में है और आरक्षित वन उत्तरी-मध्य असम के सोनितपुर जिले में स्थित हैं. ये विधानसभा क्षेत्र सोनितपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, यहां लोकसभा चुनाव पहले चरण 19 अप्रैल को हो चुका है.


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