Raebareli Lok Sabha Seat: कई दशकों से हाई प्रोफाइल सीट रही रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इससे कुछ मीटर की दूरी पर स्थित गोपाल सरस्वती विद्या मंदिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मौजूदगी का प्रतीक है. रतापुर रोड पर अटल भवन इलाके में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव और उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के आखिरी गढ़ में पार्टी की पैठ बनाने की कोशिश का प्रतीक है.


हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बदलते चुनावी समीकरणों के बावजूद रायबरेली को लोगों का गांधी परिवार के साथ उनका मजबूत रिश्ता कायम है. उधर, फिरोज गांधी इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर हेमंत राठौड़ का कहना है कि रायबरेली में जो भी विकास हुआ है. उसका श्रेय गांधी परिवार को जाता है. उन्होंने कहा कि हमारे पास एम्स, रेल कोच फैक्ट्री, आईटीआई, इंजीनियरिंग कॉलेज, निफ्ट है. ऐसे में मौजूदा सरकार 10 साल तक काम करने के बाद अब कांग्रेस को दोष नहीं दे सकती.


समर्थक कांग्रेस की परियोजनाओं का कर रहे भरोसा


इस बीच छात्रों का कहना है कि जहां ज्यादातर पढ़े लिखे लोग नौकरियों की तलाश में दिल्ली, नोएडा और पंजाब चले जाते हैं. उधर, इलाके में इंग्लिश मीडियम में स्कूल तेजी से बढ़े हैं. छात्रों कहा कहना है कोई बेहतर नौकरियों के लिए अंग्रेजी सीखना चाहता है. जबकि इसके उलट पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तुलना में यहां प्रति व्यक्ति भूमि जोत कम है, जिससे युवा आबादी कहीं और नौकरी तलाशने को मजबूर है. फिर भी कांग्रेस समर्थक उन परियोजनाओं पर भरोसा कर रहे हैं जो गांधी परिवार के चलते जिले में आई हैं.


गांधी परिवार के प्रति लगाव है गहरा


रायबरेली में कांग्रेस जिला अध्यक्ष पंकज तिवारी ने कहा था कि लोग यहां पर गांधी परिवार को चाहते हैं. उनसे लोगों का गहरा लगाव है और यह सिर्फ एक भावनात्मक बंधन नहीं है. पंकज तिवारी ने कहा कि लोग गांधी परिवार को उसके लिए चाहते हैं जो उन्होंने रायबरेली में किया है.


हमारे पास बोलने के लिए बहुत कुछ-  BJP प्रभारी


अटल भवन में बीजेपी के रायबरेली प्रभारी वीरेंद्र गौतम ने कहा कि कांग्रेस एक "प्राइवेट लिमिटेड कंपनी" बन गई है. ऐसे में हम पिछले महीने से बूथ स्तर पर काम कर रहे हैं. इस दौरान हमने बूथ स्तर पर लाभार्थियों के लिए अभियान चलाया. हमारी बूथ-स्तरीय टीमों के साथ कम से कम 4 बैठकें हो चुकी हैं. साथ ही हमने पिछले 8 महीनों से महिलाओं और युवाओं के लिए एक विशेष सांस्कृतिक अभियान और 'दलित बस्ती संपर्क अभियान' चलाया है. वीरेंद्र गौतम ने बताया कि जब से बीजेपी ने 2014 में सरकार बनाई है, हमारे पास बोलने के लिए बहुत कुछ है.


 कांग्रेस का गढ़ कैसे बनी रायबरेली?


नेहरू-गांधी परिवार सालों से रायबरेली लोकसभा सीट से जुड़ा हुआ है. रायबरेली में कांग्रेस का 1952 से दबदबा रहा है. राहुल गांधी के दादा, फिरोज गांधी ने 1952 और 1957 में यह सीट जीती थी. इसके बाद उनकी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1967 में पहली बार रायबरेली लोकसभा सीट जीती. उसके बाद इंदिरा गांधी ने 1971 में फिर से सीट जीती.


हालांकि, वह आपातकाल के बाद 1977 में राज नारायण से चुनाव हार गईं थी. लेकिन इंदिरा गांधी ने आंध्र प्रदेश की एक सीट का प्रतिनिधित्व करना चुना. जबकि, 2004 से सोनिया गांधी रायबरेली की सांसद रही हैं.


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