Lok Sabha Election 2024 Phase 3: तेलंगाना के निजामाबाद से बीजेपी के सांसद अरविंद धर्मपुरी एक वीडियो के वायरल होने के बाद विवादों में आ गए हैं. मामले पर बीजेपी नेता अरविंद धर्मपुरी ने अब सफाई पेश करते हुए कहा, 'यह दो साल पुराना वीडियो है और इसका मुद्दा आपातकाल के दौरान फिरोज जहांगीर गांधी की पत्नी इंदिरा गांधी की ओर से संविधान की प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द जोड़ने को लेकर था.


बीजेपी सांसद अरविंद धर्मपुरी ने कहा कि इस वीडियो में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द को भारत के संविधान में जोड़ने से लेकर मुझसे सवाल पूछा गया था. उन्होंने बताया कि साल 1976 में फिरोज जहांगीर की पत्नी इंदिरा जी ने मुसलमान वोट बैंक को खुश करने के लिए संविधान को बदल कर, संविधान में 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द वो भी आपातकाल के दौरान जोड़ा गया था.


'1981 में संविधान बदलकर कांग्रेस ने SC और ST का आरक्षण छीना'


बीजेपी नेता अरविंद धर्मपुरी ने आगे कहा कि सबसे पहले इंदिर गांधी के पिता ने धर्म के आधार पर इस देश को तीन टुकड़ों में तोड़ दिया और बाद में, इंदिरा गांधी ने 1981 में संविधान में बदलाव करके एक सेंटर यूनिवर्सिटी से एससी और एसटी आरक्षण हटा दिया. इसका नाम बदलकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी रख दिया गया.






कांग्रेस ने कई विश्वविद्यालयों का दर्जा अल्पसंख्यक दर्जे में बदला


इसके बाद साल 2011 में फिरोज जहांगीर गांधी की बहू सोनिया गांधी ने एक सेंटर यूनिवर्सिटी का दर्जा बदलकर एक अल्पसंख्यक दर्जा दे दिया, जिससे एससी और एसटी के लिए आरक्षण हटा दिया गया. बीजेपी नेता ने कहा कि अगर कांग्रेस तेलंगाना की सत्ता में बनी रहेगी तो आप कल उस्मानिया यूनिवर्सिटी और हैदराबाद सेंटर यूनिवर्सिटी का दर्जा भी बदलेंगे.


उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता बोल रहे हैं कि मुसलमानों में 14 प्रतिशत ही साक्षरता दर है. जबकि, हिन्दुओं में 80 प्रतिशत साक्षरता दर है. इसलिए ज्यादातर यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा देना चाहिए.


बीजेपी नेता अरविंद धर्मपुरी ने कांग्रेस पर साधा निशाना  


बीजेपी नेता अरविंद धर्मपुरी ने कहा कि कांग्रेस आगे चलकर उस्मानिया यूनिवर्सिटी और हैदराबाद सेंटर यूनिवर्सिटी को बदलकर उसमें से एससी/एसटी और ओबीसी को हटाएंगे. ऐसा कांग्रेस ने कई बार किया है. उन्होंने कहा कि फिरोज जहांगीर के पोते कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बताना पड़ेगा कि आप क्यों यूनिवर्सिटी का दर्जा बदलकर अल्पसंख्यक को देकर एससी/एसटी और ओबीसी को पढ़ने लिखने से और कितने दिन वंचित करेंगे.


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