Samajwadi Party Candidates For Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) उत्तर प्रदेश (यूपी) में अब तक 31 सीटों पर उम्मीवार उतार चुकी है. सपा ने ये उम्मीदवार तब उतारे जब कांग्रेस के साथ उसके सीट बंटवारे के फॉर्मूले का ऐलान नहीं हुआ. दोनों ही पार्टियां विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा हैं और उनकी ओर से सीट बंटवारे को लेकर आगे बढ़ने की बात कही जाती रही है. मंगलवार (20 फरवरी, 2024) को भी सपा के 5 उम्मीदवारों के नामों के ऐलान से कुछ घंटे पहले कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने मीडिया से कहा, ''बातचीत अंतिम चरण में (सीट बंटवारे को लेकर) है. चर्चा चल रही है और इसे कभी भी अंतिम रूप दे दिया जाएगा. समाधान निकलेगा.'' 


अब तक घोषित सपा उम्मीदवारों की सूची में 3 यादव और 3 मुस्लिम चेहरे हैं. बाकी 25 सीटों पर भी जो उम्मीदवार उतारे गए हैं, जिन्हें देखकर अंदाजा लगता है कि सपा ने जाति समीकरण, विशेषकर पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) को साधने की कोशिश की है.


SP की आ चुकी हैं 3 कैंडिडेट लिस्ट


सपा ने 30 जनवरी को 16 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी. फिर 19 फरवरी को 11 उम्मीदवारों की दूसरी सूची आई और बाद में 20 फरवरी को 5 उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी हुई. ये संख्या मिलाकर 32 होती है पर पार्टी ने एक उम्मीदवार बदला है और इसलिए 31 उम्मीदवारों का ही ऐलान अब तक पार्टी की ओर से किया गया. दरअसल, सपा ने पहली सूची में बदायूं सीट से पहले धर्मेंद्र यादव के नाम का ऐलान किया था लेकिन अब उन्हें हटाकर उनके स्थान पर शिवपाल सिंह यादव को टिकट दिया गया.


3 यादव, 3 मुस्लिम चेहरों में कौन?


सपा के अब तक घोषित 31 उम्मीदवारों में जो तीन यादव चेहरे हैं, उनमें बदायूं से शिवपाल यादव, फिरोजबाद से अक्षय यादव और मैनपुरी से अखिलेश यादव की पत्नी और सांसद डिंपल यादव हैं. वहीं, तीन मुस्लिम उम्मीदवारों में संभल से शफीकुर्रहमान बर्क, गाजीपुर से अफजाल अंसारी और कैराना से इकरा हसन शामिल हैं. 


इन 3 यादवों पर बड़ा दांव!


सपा ने बदायूं से धर्मेंद्र यादव की जगह शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाकर मजबूत दावेदारी पेश करने की कोशिश की है. दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में धर्मेंद्र यादव इसी सीट से चुनाव लड़े थे और वह स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और बीजेपी नेता संघमित्रा मौर्य से हार गए थे. बाद में धर्मेंद्र यादव को 2022 में आजमगढ़ से लोकसभा के उपचुनाव के लिए भी उम्मीदवार बनाया गया और तब भी उन्हें बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ से हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में अखिलेश यादव को बदायूं में मजबूत चेहरे की जरूरत थी. बदायूं सीट पर पिछड़े और दलित समाज के मतदाताओं का प्रभाव माना जाता है. अब चाचा शिवपाल यादव से अखिलेश को उम्मीद है वह यहां जीत दर्ज करेंगे.


सपा ने फिरोजाबाद में एक बार फिर अक्षय यादव पर दांव खेला है. 2019 में भी अक्षय यादव को सपा ने यहां से उम्मीदवार बनाया था लेकिन तब नाराज चल रहे शिवपाल यादव भी अपनी पार्टी से इस सीट से चुनावी मैदान में उतर गए थे और बीजेपी के डॉक्टर चंद्रसेन को यहां जीत मिली थी. अक्षय यादव ने इसी सीट से 2014 में चुनाव लड़ा था और जीते थे. अब 2024 के चुनाव में पार्टी को उनसे उम्मीदें हैं, साथ ही एक ही परिवार के दो लोगों के बीच वोट बंटने की आशंका भी नहीं है.


सपा ने मैनपुरी से अखिलेश यादव की पत्नी और मौजूदा सांसद डिंपल यादव को उम्मीदवार बनाया है. मैनपुरी सीट समाजवादी पार्टी की गढ़ मानी जाती है और 1996 से यह सपा के पास ही है. 1996 में मुलायम सिंह यादव यहां से जीते थे. उसके बाद से लोकसभा चुनाव में सपा के ही प्रत्याशी यहां जीतते आए हैं. मुलायम सिंह यादव पांच बार लोकसभा सदस्य के रूप में यहां से चुने गए थे. मुलायम सिंह के निधन के बाद उपचुनाव में डिंपल यादव यहां से जीती थीं. अब एक बार फिर डिंपल यादव से पार्टी को उम्मीदें हैं.


3 मुस्लिम चेहरे


तीन मुस्लिम चेहरों में सपा ने शफीकुर्रहमान बर्क को संभल से उम्मीदवार बनाया है. संभल मुस्लिम बाहुल्य सीट है. शफीकुर्रहमान यहां 2019 में सपा के टिकट पर जीते थे और एक बार 2009 के चुनाव में भी उन्होंने यहां जीत दर्ज की थी. बीजेपी को अब तक एक बार इस सीट पर 2014 में जीत मिली थी. सपा को यहां पीडीए समीकरण के काम करने की उम्मीद है और पार्टी ने उसे बैठाने के लिए एक बार फिर शफीकुर्रहमान को यहां मौका दिया है.


गाजीपुर सीट पर भी सपा ने पीडीए को साधने की कोशिश की है. यहां पहले नंबर पर यादव मतदाता और फिर दलित और मुस्लिम हैं. पार्टी ने माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को यहां से उम्मीदवार बनाया है. 2019 के चुनाव में भी अफजाल इसी सीट से जीते थे. तब वह बसपा के टिकट लड़े थे और सपा ने उन्हें समर्थन दिया था. तब सपा-बसपा गठबंधन में थीं. 2019 में अफजाल अंसारी ने बीजेपी के कद्दावर नेता और तीन बार यहां से सांसद रह चुके मनोज सिन्हा को हराया था.


सपा ने कैराना सीट से इकरा हसन को मैदान में उतारा है. इकरा हसन पूर्व सांसद तबस्सुम बेगम की बेटी और कैराना से मौजूदा विधायक नाहिद हसन की बहन हैं. 2019 के चुनाव में यहां बीजेपी के प्रदीप चौधरी जीते थे. उन्होंने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार तबस्सुम बेगम को हराया था. कैराना मुस्लिम और जाट बाहुल्य सीट है. सपा को उम्मीद है कि इकरा हसन उसे यहां से जीत दिलाएंगी.


सपा के 31 उम्मीदवार


समाजवादी पार्टी के 31 उम्मीदवारों में संभल से शफीकुर्रहमान बर्क, फिरोजबाद से अक्षय यादव, मैनपुरी से डिंपल यादव, एटा से देवेश शाक्य, बदायूं से शिवपाल सिंह यादव, खीरी से उत्कर्ष वर्मा, धौरहरा से आनंद भदौरिया, उन्नाव से अनु टंडन, लखनऊ से रविदास मेहरोत्रा, फर्रुखाबाद से नवल किशोर शाक्य, अकबरपुर से राजाराम पाल, बांदा से शिवशंकर सिंह पटेल, फैजाबाद से अवधेश प्रसाद, अंबेडकर नगर से लालजी वर्मा, बस्ती से रामप्रसाद चौधरी, गोरखपुर से काजल निषाद, मुजफ्फरनगर से हरेंद्र मलिक, आंवला से नीरज मौर्य, शाहजहांपुर से राजेश कश्यप, हरदोई से उषा वर्मा, मिश्रिख से रामपाल राजवंशी, मोहनलालगंज से आरके चौधरी, प्रतापगढ़ से एसपी सिंह पटेल, बहराइच से रमेश गौतम, गोंडा से श्रेया वर्मा, गाजीपुर से अफजाल अंसारी, चंदौली से वीरेंद्र सिंह, कैराना से इकरा हसन, बरेली से प्रवीण सिंह ऐरन, हमीरपुर से अजेंद्र सिंह राजपूत और वाराणसी से सुरेंद्र सिंह पटेल हैं.


SP ने साधा PDA समीकरण


सपा उम्मीदवारों की पहली सूची में ओबीसी उम्मीदवारों की संख्या 11 थी. दूसरी लिस्ट में यह आंकड़ा 4, जबकि तीसरी सूचरी में 3 रहा. हालांकि, शिवपाल यादव को धर्मेंद्र यादव की जगह टिकट दिया गया इसलिए 31 में से 17 उम्मीदवार ओबीसी समुदाय से हैं. सपा ने इसके अलावा तीनों सूचियों को मिलाकर दलित समाज के 6 लोगों को टिकट दिया. उम्मीदवारों में 2 क्षत्रिय और 1 वैश्य समाज से भी हैं. देखा जाए तो इन उम्मीदवारों में सपा का पीडीए अच्छी खासी संख्या में दिखाई देता है. जहां जिन लोगों को टिकट दिया गया हैं वहां उनके समाज के मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है और उनका मत निर्णायक भूमिका निभाता है. ऐसे में साफ है कि सपा ने इन उम्मीदवारों के चयन में पीडीए समीकरण को ध्यान में रखा है.


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