Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में कुछ ही हफ्तों का समय बाकी है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल रणनीति बनाने में लगे हैं. सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में भी सियासी गर्मियां तेज हैं. कहते हैं कि सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर निकलता है. ऐसे में एक बार फिर यूपी फतेह करने के लिए सभी पार्टियां जी-जान लगा रही हैं.


यूपी में जीत हासिल करने के लिए सभी दल फिलहाल जातीय समीकरण साधने में लगे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश में ओबीसी हो, मुस्लिम की हो या सवर्ण समाज...सभी का यूपी की सियासत में अहम योगदान रहता है. यही वजह है कि सभी दल सूबे में उम्मीदवार उतारते समय जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखते हैं.


यूपी में BJP के साथ ठाकुर वोट


इस बीच, न्यूज चैनल India TV ने CNX के साथ एक ओपिनियन पोल किया है. इस सर्वे के मुताबिक, 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में बीजेपी प्रचंड जीत हासिल करती नजर आ रही है. बीजेपी को राज्य में जातीय समीकरण में सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है. यूपी के 82 फीसदी ठाकुर वोटर एनडीए के साथ जा सकते हैं. 7 फीसदी ठाकुर वोटर इंडिया अलायंस और 5 फीसद बीएसपी के पक्ष में हो सकता है, जबकि 6 फीसदी ठाकुर वोटर अन्य के समर्थन में जा सकता है.


यूपी का सियासी समीकरण


उत्तर प्रदेश में लगभग 20 फीसदी के करीब मुस्लिम रहते हैं. यह वोट बैंक समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बीच रहता है. 80 में से 36 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 फीसदी के करीब है. यूपी की 6 सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमानों की आबादी 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है. बागपत, अमेठी, अलीगढ़, गोंडा, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, मऊ, महाराजगंज, पीलीभीत, सीतापुर ऐसे सीटे है, जहां मुस्लिम वोट निर्णायक है. 


बीजेपी की ओर शिफ्ट हुआ गैर यादव वोट


यूपी में ओबीसी की जनसंख्या लगभग 52 फीसदी है. इसमें गैर यादव वोट बैंक की आबादी 43 प्रतिशत है. पिछले कुछ समय में एक बड़ा गैर यादव वोट बैंक बीजेपी के पाले में आया है. इनमें कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य, सैनी, लोध, निषाद, कुम्हार, जायसवाल, राजभर, गुर्जर जैसी छोटी जातियां शामिल हैं.


ब्राह्मणों का अहम रोल


उत्तर प्रदेश ब्राह्मण समाज की आबादी 8 से 10 फीसदी के करीब है, लेकिन एक दर्जन से भी ज्यादा जिले ऐसे है जहां पर इनकी आबादी 20 प्रतिशत को भी क्रॉस कर जाती है. वाराणसी, महाराजगंज, गोरखपुर, जौनपुर, अमेठी, कानपुर, प्रयागराज, संत करीब नगर कुछ ऐसे जिले हैं जहां पर हार-जीत ब्राह्मण वोट तय कर जाते हैं. 


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