मुंबई: लॉकडाउन के दौरान रेलवे लगातार अपनी पार्सल ट्रेन सेवा के माध्यम से आम लोगों के लिए रोज़मर्रा की ज़रूरतों की सामग्री देश के विभिन्न राज्यों और शहरों तक पहुंचा रहा है. इसी क्रम में शनिवार को एक मां का मार्मिक निवेदन रेलवे को मिला जिसे रेलवे ने जिस तत्परता से पूरा किया उसे देख कर किसी का भी इंसानियत पर भरोसा बढ़ जाएगा.


मां ने की थी ऊंटनी के दूध की मांग


लॉकडाउन के दौरान शनिवार को मुंबई की एक महिला नेहा कुमारी ने अपने साढ़े तीन साल के बच्चे के लिए ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऊटनी के दूध या उसके दूध के पाउडर की मांग की थी क्योंकि उनके बच्चे को बकरी, गाय और भैंस के दूध से एलर्जी है. बच्चा ऑटिज़्म जैसे गम्भीर रोग से ग्रस्त है. और सिर्फ़ कैमल मिल्क और कुछ दालों के सहारे ही जीवित है.


 अजमेर से मंगाया गया ऊंटनी का दूध


उत्तर पश्चिम रेलवे ने इसका संज्ञान लिया. जानकारी लेने पर रेलवे को पता चला कि ऊंटनी का दूध अजमेर से मिल सकता है. ऐसे में उत्तर पश्चिम रेलवे ने अपने ज़ोन में आने वाले अजमेर के वेंडर से बात की. वेंडर ने इसे अजमेर से 235 किलोमीटर दूर राजस्थान के ही फ़ालना स्टेशन तक पहुंचाने की व्यवस्था की. फालना स्टेशन राजस्थान के पाली शहर में है.


क्योंकि फालना से होकर गुजरने वाली थी एक पार्सल ट्रेन


इसके बाद रेलवे ने लुधियाना से बांद्रा टर्मिनस को जा रही पार्सल ट्रेन को हाल्ट न होने बावजूद फ़ालना स्टेशन पर रुकवाया. और पार्सल ऑफ़िस खुलवा कर 30 किलो फ़्रोज़ेन कैमल मिल्क और कैमल मिल्क पाउडर मुंबई के लिए भेजा गया.


घर पहुंचा 20 किलो कैमल फ़्रोज़ेन मिल्क और 10 किलो पॉउडर मिल्क


शाम को 5 बजे पार्सल ट्रेन बांद्रा टर्मिनस पहुंची और शाम को 7 बजे तक फ़्रोज़ेन कैमल मिल्क और कैमल पाउडर मिल्क रेलवे ने महिला के घर पर डिलेवर कर दिया गया.


ओडिशा के पुलिस अफ़सर अरुण बोथरा ने की थी इस मुहिम की शुरुआत


राजस्थान के रहने वाले और भुवनेश्वर में कार्यरत आईपीएस अधिकारी अरुण बोथरा ने सबसे पहले नेहा कुमारी के ट्वीट पर उन्हें भरोसा दिलाया कि हम आपकी हर सम्भव मदद करेंगे चाहे इसके लिए जो भी करना पड़े. इसके बाद अरुण बोथरा ने उत्तर पश्चिम रेलवे के सीपीटीएम तरुण जैन से सम्पर्क किया. अरुण बोथरा ने यह भी बताया कि रेलवे ने जो दूध नेहा कुमारी को पहुंचाया उसमें से कुछ हिस्सा नेहा कुमारी ने मुंबई के ही एक अन्य परिवार को दिया है जिसमें एक ऑटिज़्म पीड़ित बच्चा है.


क्या होता है ऑटिज़्म


ऑटिज़्म बच्चों के विकास से जुड़ी एक गंभीर समस्या है जो बातचीत करने और दूसरे लोगों से जुड़ने की क्षमता को कम कर देती है. ऑटिज़्म तंत्रिका तंत्र पर असर करता है और प्रभावित व्यक्ति की बुद्धि, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर व्यापक रूप से असर करता है. इसमें बच्चा स्वयं के विचारों में ही गुम रहता है और उसे नई चीज़ें सीखने में परेशानी होती है. ऑटिज्म को स्वलीनता भी कहते हैं.


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