नई दिल्ली: अमरनाथ यात्रा पर जा रहे श्रद्धालुओं पर अनंतनाग के बटेंगू में आतंकी हमला हुआ है. इस हमले में सात तीर्थयात्री मारे गए हैं जबकि 32 अन्य घायल हैं. जानकारी के मुताबिक तीन हमले हुए हैं, बाकी दो हमलों में तो कुछ नहीं हुआ लेकिन गुजरात के अमरनाथ यात्रियों की बस इसकी चपेट में आ गई.
हमला रात करीब 8 बजकर 20 मिनट पर हमला हुआ. हमले में तीन पुलिस कर्मी भी घायल हुए हैं. आतंकियों की तरफ से इस तरह की धमकी दी गई थी, तमाम सुरक्षा इंतजाम के बावजूद ये हमला हो गया.
फायरिंग में 7 अमरनाथ यात्रियों की मौत आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इस हमले में सात लोग मारे गए. मारे गए लोगों में पांच महिलाएं शामिल हैं. जिस बस पर हमला हुआ वो यात्रा से वापस आ रही थी. हमले के बाद सीआरपीएफ की दो कंपनिया मौके पर पहुंची हैं.
जिस पर हमला हुआ उसका रजिस्ट्रेशन नहीं था अमरनाथ यात्रा में जाने वाली बसों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है और उन्हें सुरक्षा भी उपलब्ध कराई जाती है. लेकिन जानकारी के मुताबिक इस बस का ना तो कोई रजसिट्रेशन था और ही इसे कोई सुरक्षा मिली थी. मारे गए सभी यात्री गुजरात के रहने वाले जानकारी के मुताबिक जिस बस पर हमला हुआ वो गुजरात की थी. मारे गए सभी श्रद्धालु गुजरात के रहने वाले थे. यह बस उस जत्थे के साथ थी जो सुरक्षाबलों के साथ वापस आ रही थी लेकिन किसी कारण से यह बस रास्ते में रुक गई और जत्थे से अलग हो गई. जिस बस पर हमला हुआ उसका नंबर GJ 09 Z 9976 है. जिस बस पर हमला हुआ उसमें 56 लोग सवार थे.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हमले की निंदा की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया ने बयान जारी कर कहा, ''भगवान शिव के भक्तों पर यह हमला पूरी मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है और पूरा देश स्तब्ध है. भारत सरकार को पूरे मामले का तुरन्त संज्ञान ले सभी घायल यात्रियों का ऊपचार तथा सभी अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. आतंकियों के ख़िलाफ़ निर्णायक कार्यवाही हो व सुरक्षा में चूक की जांच हो.
हमले पर CRPF ने गृहमंत्रालय को भेजी रिपोर्ट सीआरपीएफ की ओर से गृहमंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में इसे सीरियल अटैक बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे हमले को लेकर खुफिया रिपोर्ट थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि बिना रजिस्ट्रेशन की गयी बसों को आतंकी निशाना बना सकते हैं.
बैठक के बाद पीएम को दी गई जानकारी बैठक के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को जानकारी दी है. केंद्र सरकार लगातार राज्य सरकार के संपर्क में है. राज्य सरकार ने यात्रा जारी रखने का फैसला किया है इसके मद्देनजर यात्रा मार्ग पर सुरक्षा को बढ़ाने का फैसला किया है. जानकारी के मुताबिक यात्रा की सुरक्षा में सेना की तैनाती बढ़ाने का फैसलपा किया गया है.
हमले की कड़ी से कड़ी निंदा भी कम है: उमर अब्दुल्ला नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "इस हमले की कड़ी से कड़ी निंदा भी कम है." उन्होंने ट्वीट किया, "इस साल यात्रा के दौरान हम सभी को इसका भय था. आतंकवादियों के खिलाफ हालिया सफलता और बहुत बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती को देखते हुए यह आशंका थी."
बेस कैंप से सुबह 4.05 बजे निकला था काफिला आधिकारिक जानकारी के मुताबिक आज शाम चार बजकर पांच मिनट पर जम्मू स्थित बेस कैंप से सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस की निगरानी दो काफिले रवाना हुए. पहला काफिला पहलगाम के रास्ते के लिए और दूसरा काफिला बालटाल के रास्ते के लिए निकला था.
पहलगाम जाने वाले काफिले में 1138 पुरुष, 335 महिलाएं और 100 साधुओं समेत कुल 1576 यात्री शामिल थे. पहलगाम जाने वाले काफिले में कुल 44 वाहन शामिल थे.
वहीं बालटाल के रास्ते अमरनाथ गुफा तक जाने वाले काफिले में 653 पुरुष, 204 महिलाओं समेत कुल 857 यात्री शामिल थे. बालटाल जाने वाले काफिले में 27 वाहन शामिल थे.
कैसे हुई चूक? अमरनाथ यात्रा को लेकर राज्य और केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम का दावा किया जाता है. सरकार की ओर से पूरे यात्रा के रूट पर चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए थे. अमरनाथ यात्रा के नियमों के मुताबिक सात बजे के बाद यात्रा रूट पर कोई बस नहीं जा सकती है. ऐसे में रात 8 बजकर 20 मिनट पर इस का रास्ते में होना सुरक्षा में बड़ी चूक मानी जा रही है.
साल 2000 में भी हुआ था अमरनाथ यात्रा पर हमला यह पहली बार नहीं है जब अमरनाथ यात्रा पर आतंकी हमला हुआ है. साल 2000 में भी आतंकियों ने अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाया था. इस हमले में 30 यात्रियों की मौत हो गयी थी. उस वक्त केंद्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी.
क्या है अमर नाथ यात्रा? जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में हर साल बर्फ का शिवलिंग बनता है. इसी शिवलिंग के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाते हैं. इस साल 2.30 लाख यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था. इस बार 29 जून को शुरू हुई अमरनाथ यात्रा 40 दिन तक चलेगी और रक्षा बंधन पर पूरी होगी.
जम्मू से दो रास्तों के जरिए अमरनाथ गुफा तक पहुंचते हैं श्रद्धालु
पहला रास्ता पहलगाम से है. यह चंदनवाड़ी, शेषनाग होते हुए अमरनाथ गुफा की तरफ जाने वाला 42 किलोमीटर लंबा पुराना पारंपरिक रास्ता है. लोग शेषनाग, चंदनवाड़ी की वजह से इस रास्ते से जाना पसंद करते हैं. पहलगाम के लिए रास्ता श्रीनगर से पहले ही कट जाता है.
दूसरा रास्ता सोनमर्ग के रास्ते बालटाल होते हुए अमरनाथ गुफा की तरफ जाता है. यह रास्ता 19 किलोमीटर लंबा है. यह रास्ता बेहद आसान है इस रास्ते से उसी दिन दर्शन करना संभव है, इसलिए कुछ लोग इस रास्ते से जाना पसंद करते हैं. यह रास्ता श्रीनगर पार करके शुरू होता है.
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