लेह में 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों की न्यायिक जांच शनिवार (25 अक्टूबर, 2025) से शुरू होगी और इस दौरान पीड़ितों को जांच पैनल के सदस्यों के समक्ष अपनी गवाही दर्ज कराने के लिए आमंत्रित किया जाएगा.
केंद्र ने लेह में हुई हिंसक झड़पों की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक जांच कराए जाने की 17 अक्टूबर को घोषणा की थी. यह लद्दाख के प्रदर्शनकारी समूहों की एक प्रमुख मांग थी. लेह में हुई इस झड़प में 1999 के करगिल युद्ध में हिस्सा लेने वाले एक पूर्व सैनिक सहित चार लोगों की जान चली गई थी.
वैकल्पिक विवाद निवारण केंद्र में होगी न्यायिक जांच
विधि एवं न्याय विभाग के सलाहकार कुरैशी तारिक महमूद की ओर से शुक्रवार (24 अक्टूबर, 2025) को जारी एक आदेश में कहा गया, ‘लेह शहर में हुई 24 सितंबर की घटना की न्यायिक जांच 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक लेह के मेलोंगथांग स्थित वैकल्पिक विवाद निवारण केंद्र में होगी.’
उन्होंने कहा कि जांच के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं प्राथमिकता के आधार पर की जाएंगी. आदेश में इच्छुक और पीड़ित व्यक्तियों, यदि कोई हो, से न्यायिक पैनल के सदस्यों के समक्ष अपनी गवाही दर्ज कराने का भी अनुरोध किया गया है.
जांच आयोग को जिम्मेदार लोगों की करनी है पड़ताल
लेह में 24 सितंबर को सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में चार नागरिक मारे गए थे और 90 घायल हो गए थे. ये प्रदर्शनकारी केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग रहे थे.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी एस चौहान की अध्यक्षता में जांच आयोग को ‘कानून व्यवस्था के हालात, पुलिस कार्रवाई और इसके परिणामस्वरूप चार लोगों की दुर्भाग्यपूर्ण मौत’ के लिए जिम्मेदार परिस्थितियों की पड़ताल करनी है.
एलएबी और केडीए की सरकार से मांग
सेवानिवृत्त जिला और सत्र न्यायाधीश मोहन सिंह परिहार न्यायिक सचिव के रूप में कार्य करेंगे, जबकि IAS (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी तुषार आनंद जांच आयोग के प्रशासनिक सचिव होंगे. लद्दाख के नेताओं ने दिल्ली में गृह मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ उप-समिति स्तर की वार्ता के लिए बुधवार को मुलाकात की थी.
बैठक के दौरान लद्दाख के प्रतिनिधियों ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक सहित सभी गिरफ्तार नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की. कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार वांगचुक फिलहाल जोधपुर जेल में बंद हैं. लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने कहा कि मारे गए लोगों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना चाहिए.
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