लद्दाख की राजधानी लेह में बुधवार (24 सितंबर, 2025) को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो गई. प्रदर्शन के दौरान बीजेपी दफ्तर और CRPF की गाड़ी को आग लगा दी गई. हिंसक झड़प के दौरान पुलिस पर पथराव भी हुआ. इस हिंसा में चार लोगों की मौत की भी खबर है. 70 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं.

Continues below advertisement

क्या है विरोध की वजह?2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया. उस समय सरकार ने भरोसा दिलाया था कि हालात सामान्य होने पर दोबारा राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन छह साल बीत जाने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ. इसी वादाखिलाफी ने लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया है.

प्रदर्शनकारियों की मांगेंप्रदर्शनकारी चाहते हैं कि लद्दाख को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा मिले. वे संविधान की छठवीं अनुसूची लागू करने की भी मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें स्थानीय स्तर पर फैसले लेने का अधिकार मिल सके. इसके अलावा करगिल और लेह को अलग-अलग लोकसभा सीट बनाने और पहले की तरह विधानसभा सीटें बहाल करने की भी मांग हो रही है.

Continues below advertisement

क्या है छठवीं अनुसूची का मतलब?संविधान की छठवीं अनुसूची जनजातीय इलाकों को विशेष अधिकार देती है. इसके तहत स्वायत्त जिला परिषद बनाई जा सकती है, जिसे जमीन, जंगल, पानी, खेती, खनन और सामाजिक मामलों पर कानून बनाने का हक होता है. यह व्यवस्था अभी असम, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में लागू है. 

लोग राज्य का दर्जा क्यों चाहते हैं?लद्दाख के लोगों का मानना है कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद उनके कई अधिकार खत्म हो गए. अब वे जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग की नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकते और विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व भी नहीं है. उनका मानना है कि छठवीं अनुसूची लागू होने से उन्हें फिर से अपने स्थानीय मुद्दों पर फैसले लेने की ताकत मिलेगी.

पूर्ण राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में क्या फर्क है?पूर्ण राज्य के पास अपनी विधानसभा, मुख्यमंत्री और राज्य सरकार होती है. यह सरकार अपने राज्य के लिए कानून बनाती और उन्हें लागू करती है. राज्य ज्यादातर मामलों में स्वतंत्र होता है और केंद्र सरकार सिर्फ कुछ खास विषयों पर ही हस्तक्षेप कर सकती है.

केंद्र शासित प्रदेश पर मुख्य रूप से केंद्र सरकार का नियंत्रण होता है. यहां प्रशासन की जिम्मेदारी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त प्रशासक या उपराज्यपाल निभाते हैं. कुछ केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा तो होती है, लेकिन उन्हें फैसले लेने की पूरी स्वतंत्रता नहीं होती और कई मामलों में उन्हें केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी पड़ती है.

कब से जारी है आंदोलन?लद्दाख में यह आंदोलन करीब डेढ़ साल से चल रहा है. पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक इसके नेतृत्व में हैं. मार्च 2024 में उन्होंने 21 दिन का अनशन किया था, जिसके बाद सरकार ने बातचीत का आश्वासन दिया. सितंबर 2024 में उन्होंने लेह से दिल्ली तक पदयात्रा भी निकाली, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था.