Madras High Court Judge Victoria: वकील लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार (7 फरवरी) को मद्रास हाई कोर्ट की एडिशनल जज के रूप में शपथ ग्रहण की. शपथ ग्रहण के बाद अपने संबोधन में गौरी ने कहा कि वह लोगों को न्याय देकर संविधान निर्माताओं के सपनों को साकार करेंगी. मद्रास हाई कोर्ट के कुछ वकीलों ने गौरी की ओर से मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ की गईं कथित घृणास्पद टिप्पणियों को लेकर जज पद पर उनकी नियुक्ति का विरोध किया था.


हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने गौरी को मद्रास हाई कोर्ट की जज के रूप में शपथ लेने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया. शीर्ष कोर्ट में मंगलवार सुबह सुनवाई के बीच ही गौरी ने एडिशनल जज के रूप में शपथ ग्रहण की. मद्रास हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा ने नियुक्ति आदेश पढ़ने के साथ में अन्य परंपराओं के निर्वहन के बाद उन्हें शपथ दिलाई.


डीवाई चंद्रचूड़ सहित कई जजों को धन्यवाद दिया
गौरी ने अपने संबोधन में उनमें भरोसा दिखाने और जज पद के लिए उनके नाम की सिफारिश करने को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य जज मुनीश्वर नाथ भंदराई, पूर्व कार्यवाहक मुख्य जज एम दुरईस्वामी (सेवानिवृत्त) और मौजूदा कार्यवाहक मुख्य जज टी राजा का आभार जताया. उन्होंने भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ सहित सुप्रीम कोर्ट के कई जजों का भी शुक्रिया अदा किया.


पहली पीढ़ी की वकील हूं- गौरी 
गौरी ने कहा कि वह तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के एक बहुत दूरस्थ गांव (पश्चिम नेयूर) से ताल्लुक रखती हैं और एक ‘बेहद साधारण परिवार’ से निकली पहली पीढ़ी की वकील हैं. उन्होंने मणिराज और जैकब फ्लेचर सहित अपने सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं के प्रति भी आभार जताया.


'मैं अपने पति के पावन चरण छूती हूं...'
गौरी मदुरै विधि कॉलेज की पूर्व छात्रा हैं. उन्होंने कहा, "मैं अपने पति थिरु तुली मुत्थू राम के पावन चरण छूती हूं, जो मेरे हर ‘प्रयोग’ में मेरे साथ खड़े रहे और जिन्होंने बिना किसी बाधा के मेरी जीवन धारा को आगे बढ़ाने में मेरी मदद की. मैं अपनी दोनों बेटियों का भी शुक्रिया अदा करना चाहती हूं."


उन्होंने यह भी कहा, "मैं मंच पर मौजूद और मेरी प्रिय मदुरै पीठ में बैठकर इस पल को देख रहे सभी वरिष्ठ जज भाई-बहनों के पावन चरणों में नमन करती हूं." गौरी ने बार के सदस्यों का भी शुक्रिया अदा किया और उनका आशीर्वाद मांगा.


न्यायाधीश होने की महान जिम्मेदारी
स्वामी विवेकानंद के एक उद्धरण का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह इस बात से वाकिफ हैं कि उन्हें न्यायाधीश होने की महान जिम्मेदारी सौंपी गई है ताकि वह 'गरीब से गरीब व्यक्ति की अनसुनी और दबी कुचली आवाज' के लिए काम कर सकें, हाशिए पर पड़े लोगों के जीवन में बदलाव ला सकें, सामाजिक असमानताओं को दूर कर सकें और विविधतापूर्ण देश में बंधुत्व के भाव को मजबूती प्रदान कर सकें.


गौरी ने कहा, "मैं पूरी विनम्रता के साथ हमारे संविधान निर्माताओं के सपनों को साकार करने के लिए लोगों को न्याय देने का वचन देती हूं. धन्यवाद. जय हिंद."


गौरी के साथ चार अन्य लोगों ने भी मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की. इनमें पिल्लईपक्कम बहुकुटुंबी बालाजी (अधिवक्ता), कंदासामी कुलंदाइवेलु रामकृष्णन (अधिवक्ता), रामचंद्रन कलैमथी (महिला न्यायिक अधिकारी) और के गोविंदराजन थिलाकावती (महिला न्यायिक अधिकारी) शामिल हैं. अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल दो साल का होगा.


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