बिहार में लंबित जमानत मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (25 फरवरी, 2025) को अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि बिहार में बेल के मामले लंबित हैं इसीलिए वहां थोड़ी शांति है. कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने बेल के लिए अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और उन्हें ट्रायल कोर्ट में रेगुलर जमानत याचिका दाखिल करने को कहा है.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट को बताया गया था कि बिहार में अक्सर जमानत के मामले 9-9 महीनों तक पेंडिंग रहते हैं इसलिए ट्रायल कोर्ट्स को इन्हें निपटाने में तेजी लाने के निर्देश दिए जाएं.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच बेल पेटीशन पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बेंच को बताया कि बिहार की अदालतों में जमानत मामले लंबे समय तक पेंडिंग रहते हैं. उन्होंने कहा कि वहां अक्सर बेल केस नौ-नौ महीनों तक चलते रहते हैं इसलिए निचली अदालतों को निर्देश दिया जाए कि वह मामलों का जल्दी निपटारा करें. 

जस्टिस विक्रम नाथ ने वकील की दलील पर कहा, 'यही वजह है कि बिहार में थोड़ी शांति है.' बेंच ने ट्रायल कोर्ट्स को इस तरह के निर्देश देने का अनुरोध खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता ननंदो मेहतो को भी बेल देने से इनकार कर दिया. हालांकि, याचिकाकर्ता जमानत के लिए निचली अदालत का रुख कर सकते हैं.

कोर्ट ने आदेश में कहा, 'इस याचिका को, तदानुसार, वापस ले लिया गया मानते हुए याचिका को खारिज किया जाता है और याचिकाकर्ता को आज से दो हफ्ते के अंदर सरेंडर करने और ट्रायल कोर्ट में नियमित जमानत के लिए आवेदन करने की इजाजत है. अगर ऐसी याचिका दाखिल की जाती है, तो ट्रायल कोर्ट अपनी मेरिट के आधार पर इस पर विचार करेगा.'

 

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