Lakshagriha Verdict: उत्तर प्रदेश के बागपत कोर्ट ने लाक्षागृह मामले में सोमवार (5 फरवरी) को फैसला हिंदुओं के पक्ष में सुनाया. मुस्लिम पक्ष लाक्षागृह वाली जगह पर सूफी संत शेख बदरुद्दीन की मजार और एक कब्रिस्तान होने का दावा कर रहा था, जबकि हिंदू पक्ष के दावे के मुताबिक यह महाभारत कालीन लाक्षागृह है.


इस लाक्षागृह को महाभारत काल की उस घटना से जोड़कर देखा जाता है जिसमें कौरवों ने पांडवोंं को जलाकर मारने की नाकाम कोशिश की थी. मामले में अदालत का फैसला करीब 53 साल बाद आया है. बागपत कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए लाक्षागृह की 100 बीघा जमीन पर हिंदू पक्ष के अधिकार की बात कही.


क्या है लाक्षागृह मामला?


यह लाक्षागृह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागवत जिले के बरनावा में पड़ता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 1970 से यह मामला अदालत में था. पिछले साल इसकी सुनवाई ने रफ्तार पकड़ी थी.


न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, 1970 में इस मामले को लेकर बरनावा के रहने वाले मुकीम खान ने वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी की हैसियत से मेरठ के सरधना के कोर्ट में केस दायर कराया था. इसमें कहा गया था कि लाक्षागृह टीले पर शेख बदरुद्दीन की मजार और एक बड़ा कब्रिस्तान मौजूद है और उस पर वक्फ बोर्ड का अधिकार है.


इस मामले में मुकीम खान ने लाक्षागृह गुरुकुल के संस्थापक ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाया था और केस में लिखा था कि कृष्णदत्त महाराज जो बाहर के रहने वाले हैं, इस कब्रिस्तान को खत्म करके यहां हिंदुओं का तीर्थ स्थान बनाना चाहते हैं.


हालांकि, इस मामले के वादी और प्रतिवादी दोनों की मृत्यु हो चुकी है लेकिन हिंदू और मुस्लिम पक्ष के अन्य लोगों के बीच यह मामला अदालत में चल रहा था.


खुदाई में मिले साक्ष्य क्या कहते हैं?


इतिहासकारों की मानें तो लाक्षागृह वाले स्थान की खुदाई में मिले हजारों साल पुराने साक्ष्यों से पता चलता है कि यह जगह हिंदू सभ्यता के ज्यादा करीब है. खुदाई मिली चीजें महाभारत काल के समकालीन बताई गई थीं. 1952 में एएसआई की देखरेख में यहां खुदाई शुरू हुई थी. इस टीले के नीचे एक सुरंग भी मौजूद है.


लाक्षागृह की गुफा के बारे में शिलालेख में दी गई है ये जानकारी


एक शिलालेख में बागपत के बरनावा के लाक्षागृह की गुफा के बारे में दी गई जानकारी दी गई है. इसमें बताया गया है कि बरनावा की पहचान महाभारत में वर्णित वारणावत से की गई है. यह हिंडन और कृष्णा नदी के संगम स्थित है. गांव के दक्षिण में करीब 100 फुट ऊंचा और 30 एकड़ भूमि पर फैला हुआ एक टीला है, जिसे लाक्षागृह का अवशेष समझा जाता है.


शिलालेख के मुताबिक, टीले के नीचे दो सुरंग हैं. इसी लाक्षागृह में कौरवों ने पाडवों को एक षड़यंत्र के तहत जलाकर मारने की नाकाम कोशिश की थी. कहा जाता है कि पांडवों ने उस अग्निकांड से बचकर निकलने के लिए इस टीले के नीचे स्थित इन्हीं सुरंगों का इस्तेमाल किया था.


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