Sonam Wangchuk Strike: लेह एपेक्स बॉडी और क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. इस दौरान उन्होंने कहा, "21 दिन के अनशन के बाद 10 दिन तक महिलाएं अनशन पर रहीं. इस दौरान महिलाओं के आने और युवाओं के जाने में अंतराल था. आज 4 अप्रैल को हम तीन दिन की अनशन के लिए बहुत सारे लोगों के साथ बैठे हैं. पिछले एक महीने से हमलोग यहां प्रार्थनाएं, दुआएं करते हुए अनशन पर बैठे हुए हैं."


लेह में धारा 144 के आदेश


इस बीच जिला मजिस्ट्रेट ने लेह जिले में धारा 144 लागू करने के आदेश दिए हैं. इसके तहत किसी भी जुलूस, रैली या मार्च पर रोक लगाने के आदेश जारी किए गए हैं. प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया, जिला मजिस्ट्रेट से बिना आदेश लिए लेह में बयानबाजी, रैली या मार्च करने की अनुमति नहीं होगी." आदेश में आगे कहा गया कि अनुमति के बिना लाउडस्पीकर बजाने, लोगों को इकट्ठा करने की अनुमति नहीं होगी.


सोनम वांगचुक ने कहा, "हम यहां सरकार को उनके किए वादे लद्दाख के संरक्षण की याद दिलाने बैठे हैं, मगर फिर भी हमें बताया जा रहा है कि हम जो गांधी जी के पद चिन्हों पर 7 अप्रैल को पश्चिमा मार्च करने जा रहे हैं, उसे लेकर सरकार कुछ ज्यादा ही कदम उठा रही है. गांव से जो गाड़ियां आएंगी, उसे रोकने की योजना बनाई जा रही है."


सोनम वांगचुक ने प्रशासन पर लगाए आरोप


सोनम वांगचुक ने आरोप लगाया, "लद्दाख के संरक्षण अभियान में जो कार्यकर्ता हैं, उनको पुलिस कई ओर से थाने में बुलाकर डराया जा रहा है. कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने की धमकी जा रही है, अन्यथा बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा जा रहा है. पता नहीं इतना ज्यादा ओवर रिएक्शन क्यों हो रहा है. इससे तो और भी गलत प्रभाव पड़ सकता है."






सोनम वांगचुक ने कहा, "अगर लोगों को पकड़-पकड़ डराने का सिलसिला जारी रहता है तो कदम उठाए जाएंगे. भारत में वादा तोड़ना कोई गलत काम नहीं है और अगर वादे याद दिला तो फिर धड़पकड़ अशांति होने लगती है. आप अशांति के नाम पर कुछ भी कर लें. हजारों लोग गांव से बिल्कुल शांतिपूर्वक तारीके से मार्च करने आ रहे हैं उन्हें डरा-धमका कर रोका जा रहा है. लोग अलग-अलग जगहों से भी लद्दाख आ रहे हैं, ऐसे में अगर उन्हें डराया और धमकाया जाए तो फिर थोड़ा माहौल बिगड़ भी सकता है. हालांकि मुझे उम्मीद है कि ऐसा कुछ नहीं होगा."


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