लद्दाख में हुए हालिया हिंसक प्रदर्शन पर सरकारी सूत्रों ने गहरी चिंता जताई है. सूत्रों ने कहा कि जो कुछ हुआ वह बेहद दुखद है, लेकिन सवाल उठता है कि इस अराजकता से असल में किसे फायदा हुआ? जब सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच 6 अक्टूबर को बातचीत तय थी और 25-26 सितंबर को अनौपचारिक वार्ता की भी योजना बन रही थी, तो ऐसे समय में हिंसा क्यों भड़काई गई?

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सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोपसरकारी सूत्रों ने कहा कि सोनम वांगचुक का एजेंडा शुरू से स्पष्ट रहा है. उन्होंने खुले तौर पर लद्दाख में 'अरब स्प्रिंग' जैसा आंदोलन लाने की बात कही और नेपाल के युवाओं के प्रदर्शनों की तारीफ की. आरोप है कि उन्होंने अपने निजी वित्तीय अनियमितताओं से ध्यान भटकाने के लिए युवाओं का इस्तेमाल किया. अपने फायदे के लिए उन्होंने लद्दाख के युवाओं को ढाल बनाया और उन्हें सड़कों पर उतार दिया.

कांग्रेस पर माहौल बिगाड़ने का आरोपसूत्रों के मुताबिक सरकार कांग्रेस पार्टी को भी आरोपी मान रही है. उसका मानना है कि कांग्रेस ने पहले से जमीन तैयार की थी. सरकारी दफ्तरों पर पथराव की बातें करना, कार्रवाई की धमकियां देना और युवाओं को टकराव की तरफ धकेलना कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा था. यह कोई स्वाभाविक विरोध नहीं था बल्कि एक पूर्व-नियोजित स्क्रिप्ट थी जिसे हिंसा में बदल दिया गया. सूत्रों ने कहा कि युवाओं का इस्तेमाल किया गया, गलती उनकी नहीं बल्कि उन लोगों की है जिन्होंने उन्हें मोहरे की तरह इस्तेमाल किया.

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सरकार की बातचीत और सुरक्षा के प्रयाससरकार का कहना है कि उसने हमेशा बातचीत को गंभीरता से लिया है. जुलाई के अंतिम सप्ताह में भी उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) की बैठक के लिए तारीखें प्रस्तावित की गई थीं, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. सरकार ने दोहराया कि लद्दाख की जमीन, रोजगार, संस्कृति और अन्य संवेदनशील मुद्दों की सुरक्षा हमेशा से उसकी प्राथमिकता रही है. इसी दिशा में आरक्षण को बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने जैसे फैसले लिए गए हैं.

लद्दाख के लोगों के हित सर्वोपरिसरकारी सूत्रों ने कहा कि बातचीत हमेशा खुले मन और दोस्ताना माहौल में होनी चाहिए, न कि टकराव की भावना से. सरकार का मकसद है कि सभी नीतिगत फैसलों के केंद्र में लद्दाख के लोग हों. लद्दाखियों के हितों की रक्षा और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा देना ही सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है. एलजी ने भी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की निंदा कीलद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने लेह में हुई हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए जनहानि पर गहरा दुख जताया और शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की. उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की. उपराज्यपाल ने प्रशासन और कानून-व्यवस्था एजेंसियों को सख्त कदम उठाकर हालात सामान्य करने और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी रूप में हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.