Cheetahs in Kuno National Park: कूनो नेशनल पार्क में चीतों (Cheetahs) को छोड़े हुए चौबीस घंटे से ज्यादा बीत चुके हैं. चीतों की देखभाल कर रहे एक फॉरेस्ट अफ़सर ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि चीते बाड़े में छोड़े जाने के बाद शुरुआत में कुछ मिनट तक आस-पास के माहौल का जायज़ा लेने के बाद ख़ुद को सुरक्षित महसूस करने लगे हैं. शुरुआती बेचैनी चीतों में इसलिए देखी गई क्योंकि वे नई जगह पर आए थे और जगह से वाक़िफ़ भी नहीं थे. चीतों ने पूरे बाड़े पर निगाह डालने के बाद अपने आपको आरामदायक स्थिति में पाया. 


बताया जा रहा है कि ज़्यादातर चीते क़रीब एक घंटे बाद ही कभी आराम और कभी टहलना शुरू कर चुके हैं. सभी चीतों ने अपने बाड़े में मार्किंग भी की है. इसका मतलब है कि चीतों ने कूनो नेशनल पार्क को अपने नए घर के रूप में स्वीकार कर लिया है. 


चीतों के व्यवहार पर नजर


एमपी के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में चीतों के व्यवहार पर पूरी नज़र रखी जा रही है. इसके अलावा इन सभी चीतों का डाइट चार्ट भी तैयार है. भारत में चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख एसपी यादव ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि चीतों को ख़ाना खिलाकर लाया गया था. तीन दिन में एक बार चीते ख़ाना खाते हैं. सोमवार को तीसरा दिन होगा. आज शाम यानी रविवार शाम को डॉक्टर चीतों का मेडिकल चेक अप करेंगे उसके बाद कल यानी सोमवार को ख़ाना दिया जाना है.


चीतों को खाने में क्या दिया जाएगा?


कूनो नेशनल पार्क में लाए गए चीतों को अभी सर्टिफाइड मीट दिया जाएगा, जो चीता विशेषज्ञ की जांच के बाद ही दिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक़ कूनो नेशनल पार्क में चीते के पहले खाने में भैंसे का मीट परोसे जाने की संभावना ज़्यादा है. चीता विशेषज्ञ मीट की जांच कर ये जानेंगे कि कहीं कोई बैक्टीरिया इंफ़ेक्शन या किसी दूसरी तरह का इंफ़ेक्शन तो मीट में नहीं हैं. इसके बाद ही चीतों को ख़ाना परोसा जाएगा. चीते पानी ज़्यादा पीते है, इसलिए बाड़े में पानी की निर्बाध व्यवस्था की गई है.


13 विशेषज्ञों की टीम रख रही नजर


चीतों के प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि शनिवार को उमस ज़्यादा होने की वजह से चीतों ने तक़रीबन हर दूसरे घंटे पानी पिया है और फिर आराम किया. चीतों पर लगातार निगरानी रखी जा रही है. इसके लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं. सभी चीते सीधे नज़र निगरानी में हैं इसलिए अभी रेडियो कॉलर का ज़्यादा इस्तेमाल नहीं हो रहा है. एक महीने के दौरान क़रीब 13 विशेषज्ञों की पूरी टीम चीतों पर पैनी नज़र रखेगी. सभी पैरामीटर का डेटा नोट किया जा रहा है, ताकि ना केवल हेल्थ बल्कि व्यवहार और मनो वैज्ञानिक विश्लेषण को पूरा विश्लेषण तैयार किया जा सके.


नामीबिया (Namibia) से आई चीता फ़ाउंडेशन की प्रमुख लॉरी मार्कर भी लगातार इन चीतों पर नज़र बनाए हुए हैं. चीता प्रोजेक्ट (Cheetahs Project) के प्रमुख एसपी यादव ने बताया कि उम्मीद है कि चीते जल्द से जल्द कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) के माहौल को अपना लेंगे और चीतों के भारत में पुनर्जन्म की कहानी स्वर्ण अक्षरों में लिखी जा सकेगी.


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