नई दिल्ली: महाराष्ट्र में जातीय हिंसा की वजह से तनाव फैला है. पुणे में दलित समुदाय की कुछ हिन्दुत्ववादी संगठनों से हिंसक झड़प हुई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई. कल की घटना के विरोध में आज मुंबई समेत 12 जिलों में हिंसा भड़क उठी, जगह जगह आगजनी और तोड़फोड़ की गई. महाराष्ट्र सरकार ने न्यायिक और सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं. आठ दलित संगठनों ने कल महाराष्ट्र बंद का एलान किया है. दलित संगठनों का आरोप है कि कोरेगावं भीमा जा रही भीड़ को भगवा झंडा लिए लोगों ने निशाना बनाया. इस मामले में दो हिंदुत्ववादी संगठनों शिव प्रतिष्ठान और समस्त हिंदू मोर्चा पर दंगा भड़काने का केस दर्ज किया गया है.


माहाराष्ट्र सरकार ने दिए जांच के आदेश
महाराष्ट्र सरकार ने न्यायिक और सीआईडी जांच के आदेश दे दिए हैं. आठ दलित संगठनों ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का एलान किया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने लोगों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें. राज्य सरकार ने मृतक के परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने का एलान किया.


मुंबई समेत माहाराष्ट्र के कई इलाकों में बवाल
पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे पर हुई इस हिंसा में 25 से ज्यादा गाड़ियां जला दी गईं, एटीएम और आसपास की दुकानों को नुकसान पहुंचाया गया. पुणे से शुरू हुई हिंसा की चपेट में महाराष्ट्र के कई शहर आ गए.


आज दिन भर मुंबई समेत कई जगहों पर उग्र भीड़ ने आगजनी और तोड़फोड़ की. चेंबूर में रेल रोकी गई तो अकोला में बसों पर पथराव हुआ. इसके अलावा ठाणे, औरंगाबाद, अहमदनगर, अकोला, परभणी, धुले, शिर्डी और अहमदनगर में भी प्रदर्शन और पथराव हुआ

क्यों जल रहा है महाराष्ट्र?

महाराष्ट्र में हिंसा की शुरुआत भले कल हुई लेकिन इसके बीज 29 दिसंबर को पड़ चुके थे. पुणे के पास वडू गांव में शिवाजी के बेटे संभाजी की समाधि है और उनका अंतिम संस्कार करने वाले गोविंद महाराज की भी समाधि यहीं पर है. गोविंद महाराज की समाधि पर तोड़फोड़ से विवाद शुरू हुआ.


हमले का आरोप मिलिंद एकबोटे के संगठन हिंदू एकता मोर्चा पर लगा. वडू गांव में उस दिन कोई हिंसा नहीं हुई, लेकिन बहस के बाद एफआईआर दर्ज करायी गई. हिंदू एकता मोर्चा के कार्यकर्ताओं समेत 49 लोगों पर दलित उत्पीड़न एक्ट का केस दर्ज हुआ. संगठन के प्रमुख मिलिंद एकबोटे पर केस नहीं हुआ.


29 से 31 दिसंबर तक वडू गांव में शांति बनी रही. आरोप है कि एफआईआर से नाराज मिलिंद एकबोटे के संगठन के लोगों ने भीमा कोरेगांव में दलितों के कार्यक्रम में हमला किया. आज हिंदू मोर्चा के हमले के खिलाफ महाराष्ट्र में दलितों ने जगह जगह हिंसक प्रदर्शन किए.


घटना के सियासी मायने भी जान लें
महाराष्ट्र में दलितों की नाराजगी बीजेपी के लिए सियासी खतरा बन सकता है. महाराष्ट्र में दलितों की संख्या 1 करोड़ 33 लाख है, ये महाराष्ट्र की कुल आबादी का करीब 12 फीसदी है. राज्य 48 लोकसभा सीटों में से 18 सीट पर दलितों का प्रभाव है. मुंबई की 6 सीट, मराठवाड़ा की 8 सीट, पश्चिम महाराष्ट्र की 2 और विदर्भ की 2 सीटों पर औसतन 16 फीसदी दलित वोटर हैं. राहुल गांधी ने एक बार फिर इस घटना के बहाने बीजेपी पर निशाना साधा है.


राहुल गांधी का बीजेपी-आरएसएस पर हमला
राहुल ने ट्विटर पर लिखा, ''बीजेपी-आरएसएस की फासीवादी सोच है कि दलित हमारे समाज के सबसे निचले पायदान पर ही रहें. उना, रोहित वेमुला और भीमा-कोरेगांव की घटनाएं इसी तरह की सोच के खिलाफ आवाज है.''

इस घटना को रोका जा सकता था: मायावती

बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा, ''इस घटना को रोका जा सकता था, सरकार को वहां सुरक्षा के उचित प्रबंध करने चाहिए थे. वहां बीजेपी की सरकार है और उन्होंने वहां हिंसा कराई. इसके पीछे बीजेपी, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ हैं.''


इस घटना का अंदाजा था, ध्यान नहीं दिया गया: शरद पवार
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, ''200 साल पूरे हो गए इसलिए ज्यादा लोग जाएंगे इसका अंदाजा सबको था. ऐसी स्थिति में वहां ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता थी. किसी दूसरी सांप्रदायिक संस्था ने इस दिन से पहले वहां जाकर कुछ न कुछ गड़बड़ की है ऐसा सुनने में आ रहा है. पुलिस ने भी इनके खिलाफ कुछ केस किए हैं तो ये ताकतें कौन हैं ये देखने की आवश्यकता है.''


ये घटना बीजेपी के लिए चिंता का सबब!
दलितों के मुद्दे पर एक तरफ विरोधी सरकार को निशाना बना रहे हैं तो सरकार में मंत्री और दलितों की राजनीति करने वाले रामदास आठवले भी कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के लिए चिंता की बात ये है कि महाराष्ट्र में मराठा पहले ही उससे नाराज माने जाते हैं, ऐसे में दलित दूर हुए तो गुजरात की तरह महाराष्ट्र में भी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.


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