नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. इसके साथ ही अब देश में मेडिकल मोर्चे पर सघन लड़ाई की तैयारी शुरु हो गई है. इसी कड़ी में डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए जरूरी साजो-सामान की भी युद्धस्तर पर खरीद हो रही है. पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (पीपीई) उनमें से सबसे जरूरी सुरक्षा उपकरण है.


क्या है पीपीई किट?


कोरोना वायरस से बचने के लिए लोग सोशल डिस्टेंसिंग अपना रहे हैं. मॉस्क और ग्लव्स पहन रहे हैं. लेकिन कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर और मेडिकल स्टाफ को सिर से पांव तक वायरस संक्रमण से बचाव के लिए कई तरह की चीजें पहननी होती हैं और ये सारी चीजें पीपीई किट्स हैं. इतना ही नहीं एक बार इस्तेमाल के बाद पीपीई को बायो हैजर्ड वेस्ट के तौर पर नष्ट करना होता है.


देश में पीपीई की मौजूदा संख्या 387473 हुई


पीपीई की 1.7 लाख किट चीन से भारत को सोमवार को मिल गई है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में निर्मित 20 हजार पीपीई की आपूर्ति होने के साथ ही अब अस्पतालों को 1.90 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी जाएगी. देश में पीपीई की मौजूदा उपलब्धता 387473 हो गई है.


अब तक 2.94 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी गई


मंत्रालय के अनुसार राज्यों को केन्द्र सरकार की ओर से अब तक 2.94 लाख पीपीई की आपूर्ति कर दी गई. इसके अलावा देश में ही बने दो लाख एन95 मास्क भी अस्पतालों को मुहैया कराए गए हैं. इसके अलावा दूसरे स्रोतों से मिले इस श्रेणी के 20 लाख मास्क की पहले ही अस्पतालों को आपूर्ति कर दी गई है.


डॉक्टरों के बीच से पीपीई की कमी को लेकर चिंता के सुर उठे थे


बता दें कि दुनियाभर में फैले कोविड संकट के कारण पीपीई की खासी किल्लत हो रही है. वहीं इसमें काम आने वाली आयातित सामग्री की कमी के कारण भी आपूर्ति काफी प्रभावित हुई है. ऐसे में सरकार ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए जरूरी सुधार करते हुए पीपीई मानकों में कुछ बदलाव भी किए हैं. साथ ही व्यापक पैमाने पर पीपीई भी मुहैया कराए जा रहे हैं. गौरतलब है कि देश में कई जगहों में डॉक्टरों के बीच से पीपीई की कमी को लेकर चिंता के सुर उठे थे.


देश में 4421 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि


देश में कोरोना वायरस से अब तक 4421 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है और इसके साथ ही 114 लोगों की मौत हुई है. 326 लोग ठीक हुए हैं और इस समय 3981 मरीजों का इलाज देश भर के अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है.