नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में चुनाव के बीच सोशल मीडिया पर कई खबरें वायरल हैं. ऐसी ही एक खबर प्रधानमंत्री मोदी को लेकर वायरल हुई है. सोशल मीडिया पर फैले मैसेज के मुताबिक प्रधानमंत्री ने वाराणसी में चुनाव प्रचार के बीच संकटमोचक का अवतार लिया और एक 8 दिन की बच्ची की जान बचा ली.
4 मार्च, शनिवार को दोपहर करीब 1.30 बजे प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा कर रहे थे. जलाभिषेक कर रहे थे और आरती उतार रहे थे. मोदी का पल-पल कैमरे में कैद हो रहा था क्योंकि उस दिन मोदी वाराणसी में रोड शो कर रहे थे.
इसी चुनाव प्रचार के बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज घूम रहा है जिसमें मोदी के संकटमोचक अवतार का दावा किया जा रहा है. वायरल मैसेज के मुताबिक ये कहानी नार्थ ईस्ट के असम में डिब्रूगढ़ की है जहां 8 दिन की एक बच्ची को फेफड़े में गंभीर समस्या हो चुकी थी. वो जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी और उसे इलाज के लिए तुरंत दिल्ली के गंगाराम अस्पताल लाया जाना था लेकिन कुछ मुश्किलें थीं.
क्या लिखा है वायरल मैसेज में ?
मोदी और चमत्कार के नाम से वायरल हो रहे मैसेज में लिखा है, "3 मार्च, शुक्रवार को रात 11 बजे मेरे पास एक डॉक्टर का फोन आया जो कि AMCH में मेरे सीनियर थे. उनकी भतीजी वेंटीलेटर पर थी और उसे एयरलिफ्ट करके दिल्ली के गंगाराम अस्पताल पहुंचाना जरूरी था. फ्लाइट से 6 घंटे लगते और वेंटीलेटर में सिर्फ 7 घंटे का पॉवर बैकअप था. सब ठीक था सिवाय इसके कि शनिवार को दिल्ली का ट्रैफिक और शादियों का मौका.''
वायरल मैसेज में आगे लिखा है, ''मेरे सीनियर ने मुझे अपने संपर्क का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली के ट्रैफिक को रोकने के लिए कहा. जो बहुत मुश्किल था. 4 मार्च की सुबह हुई और मैंने अपनी जान-पहचान के दिल्ली में जो भी पावरफुल लोग थे उनको मैसेज और फोन करना शुरू किया. एक आदमी जो मदद कर सकता था वो विदेश में था और काफी व्यस्त भी. इस बीच बच्ची दोपहर करीब एक बजे असम के डिब्रूगढ़ एयपोर्ट से एयरएंबुलेंस के जरिए दिल्ली के लिए निकल चुकी थी. दोपहर 2 बजे मैंने असम में इंडिया टुडे मैगजीन के कौशिक डेका को मदद के लिए फोन किया. जब कोई रास्ता नहीं बचा तो पीएम मोदी से मदद मांगने की कोशिश की.''
वायरल मैसेज के मुताबिक मदद मांगने वालों को ये पता था कि मोदी वाराणसी में रोड शो में बिजी है और इतने कम वक्त में उन तक बात पहुंचाना नामुमकिन होगा. लेकिन मोदी के पर्सनल ई मेल पर मदद मांगी गई जिसे वो हमेशा अपने फोन पर चेक करते हैं.
मैसेज में दावा है कि उस मेल के बाद जैसे ही एयर एंबुलेंस शाम 7 बजकर 10 मिनट पर दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड की एक के बाद एक फोन बजने लगे. दिल्ली पुलिस कमिश्नर से लेकर ट्रैफिक पुलिस कमिश्नर तक के फोन आए.
वेंटीलेटर पर सिर्फ 7 घंटे का पावर बैकअप था और जब आठ दिन की बच्ची को लेकर एयर एंबुलेंस दिल्ली पहुंची तो वेंटीलेटर के लिए 20 मिनट बाकी थे. यानि वेंटीलेटर बंद होता तो बच्ची की जिंदगी मुश्किल में पड़ जाती. दिल्ली में ट्रैफिक जाम था लेकिन दिल्ली ट्रैफिक के एसीपी ने भरोसा दिलाया कि बच्ची समय पर अस्पताल पहुंच जाएगी.
मैसेज के मुताबिक दिल्ली एयरपोर्ट से लेकर गंगाराम अस्पताल तक ट्रैफिक रुकवा दिया गया. ग्रीन कॉरिडोर बनवाया गया, जो कि वीवीआईपी लोगों के लिए बनाया जाता है. वेंटीलेटर यानि लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर 6 मिनट बाकी रह गए थे और बच्ची दिल्ली के गंगाराम अस्पताल पहुंच गई. मैसेज के मुताबिक मोदी ने उस दिन ये चमत्कार कर दिखाया जब वो खुद दिल्ली से दूर थे और बेहद व्यस्त थे. मैसेज पढ़कर लोग प्रधानमंत्री मोदी के नाम के कसीदे पढ़ रहे हैं.
मैसेज हर मोबाइल तक पहुंच रहा था तो एबीपी न्यूज ने वायरल मैसेज का सच जानने की कोशिश की. हम सीधे दिल्ली के गंगाराम अस्पताल पहुंचे जहां बच्ची के इलाज का दावा किया जा रहा था. गंगाराम अस्पताल में हमने उस बच्ची को ढूंढने की कोशिश की.
अस्पताल में शुरू हुई पड़ताल में पता चला कि बच्ची शनिवार को यानि 4 मार्च को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल पहुंची थी और जिस हालत में वो लाई गई थी वो बेहद गंभीर थी. बच्ची के चाचा भी असम के डिब्रूगढ़ से उसे एयरएंबुलेंस में साथ लेकर आ रहे थे. चाचा ने खुद बताया कि कैसे शाम 6 बजे आए एक फोन ने पूरे परिवार को उम्मीदों से भर दिया था.
एबीपी न्यूज की पड़ताल में सामने आया कि शनिवार के दिन ईमेल पढ़ने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने व्यस्त होते हुए भी मेल का नोटिस लिया और प्रधानमंत्री कार्यालय को अलर्ट किया. पहले से तैनात टीम ने एंबुलेंस की मदद से बच्ची को विशेष रास्ते से एयरपोर्ट से बाहर निकाला. सड़क पर सारी तैयारी पहले ही हो चुकी थी. बचाव दल ने मात्र 13 मिनट में बच्ची को गंगाराम अस्पताल में दाखिल करवा दिया.
दिल्ली एयरपोर्ट से गंगाराम अस्पताल के बीच की दूरी करीब 17 किमी है. अगर पूरे रास्ते पर सामान्य ट्रैफिक हो तो भी 17 किमी तय करने में 40 मिनट का वक्त लगता है लेकिन वेंटीलेटर पर 20 मिनट ही बैटरी बाकी थी. इसलिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने ग्रीन कॉरीडोर के जरिए बच्ची को महज 13 मिनट में ही अस्पताल पहुंचा दिया.
बच्ची की मां प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका हैं. ये परिवार में दूसरी बच्ची है. आंकड़े बताते हैं कि हर साल 14-20 फीसदी बच्चों की मौत ऐसी परेशानी से हो जाती है. ABP न्यूज की पड़ताल में वायरल मैसेज सच साबित हुआ है.