नई दिल्ली: धरती पर 70 फीसदी केवल पानी है इसकी जानकारी तो सभी को है. समुद्र से लेकर बर्फीली चट्टानें और नदियां इनमें आती है और आप इस बात से भी वाकिफ होंगे कि दुनिया में कुल 5 महासागर है. जिनकी कोई सीमा नहीं है. कहा जाता है कि महासागरो की शुरुआती और अंतिम छोर का पता लगाना असंभव माना जाता है. इनकी गहराईयों में ना जाने कितने राज़ छिपे है. इन्हीं महासागरो से जुड़ा एक रहस्य हम आपको बताने जा रहे है जिसको जानकर आप निश्चित तौर पर हैरान हो जाएंगे.


हिंद महासागर और प्रशांत महासागर अलास्का की खाड़ी में जा मिलते है. या ये कहा जा सकता है कि ये मिलकर भी नहीं मिलते है. ऐसा इस्लिए कहा जाता है क्योंकि इनका पानी एक दूसरे कभी नहीं मिल सका है. हिंद और प्रशांत महासागर का पानी अलग रहता है.


तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि दोनों महासागरो का पानी एक दूसरे से बिल्कुल अलग है. एक नीला दिखता है तो एक हल्का हरा. कुछ लोग इसे ईश्वर का चमक्तकार के रूप में देखते है तो कुछ धार्मिक मान्यताओं से जोड़कर देखते है.


आइये जानते है कि आखिर क्या वज़ह है जो इन दोनों महासागरो का पानी एक दूसरे से नहीं मिलता है.


वैज्ञानिकों के मुताबिक दोनों के पानी का ना मिलने की वजह एक का खारा तो दूसरे का मीठा होना बताया गया है. वहीं दोनों का तापमान और लवणता का अलग-अलग होना भी है. कहा जाता है जिस जगह दोनों महासागरों का पानी मिलता है वहां झाग की एक दीवार बन जाती है. अलग-अलग धनत्व के कारण दोनों एक दूसरे से मिलते तो है लेकिन मिश्रित नहीं होते.


ये भी कहा जाता है कि सूरज की किरणों के पड़ने से दोनों महासागरों का पानी के रंग में बदलाव होता है. जिस कारण ऐसा लगता है कि दोनों महासागर मिलते तो है लेकिन मुश्रित नहीं होते.


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