नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के दार्जिलिंग जिले में अलगाववादी हिंसा के लिए पर्वतीय परिषद के लिए प्रस्तावित चुनाव और पूर्वोत्तर राज्यों के उग्रवादियों को मुख्य वजह बताया है.


राज्य सरकार की तरफ से केंन्द्रीय गृह मंत्रालय का भेजी गयी रिपोर्ट में दार्जिलिंग जिले में पिछले कुछ दिनों से जारी हिंसा और अनिश्चितकालीन बंद के पीछे चुनावी राजनीति और पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय उग्रवादियों की मौजूदगी को मुख्य कारण बताया है. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक राज्य सरकार से मंत्रालय को 17 जून को रिपोर्ट मिल गयी थी.


रिपोर्ट के मुताबिक दार्जिलिंग जिले में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) द्वारा पांच जून को आयोजित विरोध प्रदर्शन के दौरान सभी राजमार्गो को अवरद्ध किये जाने के बाद हिंसा भड़क उठी थी. इसके बाद आठ जून को जीजेएम द्वारा राजभवन के पास गोरखा रंग मंच भवन पर विरोध प्रदर्शन करते हुए किए गए पैदल मार्च के बाद हिंसा से उपजे हालात बिगड़ने लगे.


रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस पर किया गया पथराव और दो घंटे तक चले हिंसक प्रदर्शन के दौरान बमबारी भी की गयी. इसमें एक सरकारी बस, पुलिस के आठ वाहन और एक पुलिस सहायता केन्द्र जलकर खाक हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारियों में शामिल अधिकांश जीजेएम कार्यकर्ता अलग राज्य की मांग कर रहे थे.


सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में दार्जिलिंग और आसपास के कुछ अन्य इलाकों में गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन के चुनाव को इलाके में भड़की हिंसा की वजह बताया गया है. रिपोर्ट में हिंसा के दौरान भारी मात्रा में हथियार और नकदी पकड़े जाने के आधार पर दार्जिलिंग हिंसा में पूर्वोत्तर राज्यों के उग्रवादियों की मौजूदगी को भी हिंसा के पीछे अहम वजह बताया गया है.


राज्य सरकार की भेजी गयी रिपोर्ट में 13 जून तक के हालात के आधार पर हिंसक आंदोलन के दौरान पुलिस द्वारा कुल 24 मामले दर्ज करने की बात कही गयी है. हिंसा में सुरक्षा बल के 49 जवानों के घायल हुए हैं. इलाके में शांति एवं कानून व्यवस्था बहाल करने में मदद करने के लिए सुरक्षा बलों की 11 कंपनियां (1375 जवान) वहां मौजूद हैं. इनमें एक कंपनी महिला जवानों की भी शामिल है.