नई दिल्लीः भारत रत्न से सम्मानित और तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी आज पंचतत्व में विलीन हो गए. आज दिल्ली के राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर उन्हें उनकी बेटी नमिता भट्टाचार्य ने मुखाग्नि दी. कल शाम 5 बजकर 5 मिनट पर उन्होंने दिल्ली के एम्स अस्पताल में आखिरी सांस ली थी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र जब भी होता है तो पोखरण उनकी यादों में जुड़ जाता है. ऑपरेशन शक्ति जिसके तहत पोखरण में परमाणु परीक्षण किया गया, इसको संभव बनाने के पीछे अटल बिहारी वाजपेयी ही थे.
वाजपेयी का ‘ऑपरेशन शक्ति’ अपने इरादों के पक्के अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि कोई क्या कहेगा. 18 मार्च 1998 को दूसरी बार सत्ता संभालते ही उन्होंने ऐसा फैसला किया जिसने सारी दुनिया को चौंका दिया. प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के दो दिन बाद ही वाजपेयी ने एपीजे अब्दुल कलाम और एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन से मुलाकात की और कहा कि आप लोग परमाणु परीक्षण की तैयारी करें. तब तक वाजपेयी सरकार को विश्वास मत भी हासिल नहीं हुआ था.
28 मार्च को विश्वास मत हासिल करने के कुछ दिनों बाद 9 अप्रैल को वाजपेयी ने फिर एक बैठक बुलाई और कलाम से पूछा कि टेस्ट की पूरी तैयारी में आपको कितना वक्त लगेगा. उन्होंने जवाब दिया 30 दिन और इस तरह से उसी वक्त 'ऑपरेशन शक्ति' यानी परमाणु परीक्षण का वक्त तय हो गया. 11 मई और 13 मई 1998 को हुए 5 परमाणु परीक्षणों ने भारत को देखने का दुनिया का नजरिया ही बदल दिया.
परमाणु वैज्ञानिक डॉ बालाचंद्रन ने भी इसके बारे में कहा था कि जब 1998 में परमाणु परीक्षण हुआ तो ये सबके लिए बेहद चौंकाने वाला था और बेहद गुप्त तरीके से इस टेस्ट की तैयारी की गई थी.
वाजपेयी के इस फैसले ने देश-दुनिया में सबको चौंका दिया. डर था कि भारत को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा लेकिन वाजपेयी ने कहा कि उन्होंने जो कुछ किया, सोच समझ कर किया. वाजपेयी ने उस समय कहा भी था कि ये कोई आत्मश्लाघा में लिया फैसला नहीं था.
अटल बिहारी वाजपेयी पंचतत्व में विलीन, पीएम-राष्ट्रपति की मौजूदगी में बेटी नमिता ने दी मुखाग्नि
जब वाजपेयी ने कलाम से कहा था, ''मुझे केवल हां चाहिए, ना नहीं'' कबाब और झींगा खाने के बेहद शौकीन थे अटल बिहारी वाजपेयी