कोरोना वायरस की जांच के लिए चीन से आई रैपिड टेस्ट किट सवालों के घेरे में है. राजस्थान सरकार ने तो रैपिड टेस्ट किट को नकार ही दिया है. तो वहीं देश की सबसे बड़ी मेडिकल रिसर्च संस्था ICMR ने भी दो दिनों के लिए रैपिड टेस्ट किट से कोरोना की जांच ना करने को कहा है. कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए मंगायी इस रैपिड टेस्ट किट का सवालों में घिरना भारत के लिए चिंता की बात है.


दावा है कि रैपिड टेस्ट किट के जरिए आधे घंटे के अंदर शरीर में कोरोना के होने या ना होने की पुष्टि हो जाती है. विशेषज्ञों की टीम ने सलाह दी है कि इस टेस्टिंग किट के इस्तेमाल से कोई फायदा नहीं है. ऐसे में रैपिड टेस्टिंग किट से जांच रोक दी गई है. अब पहले की तरह ही पीसीआर से जांच होगी.


क्या होता है रैपिड टेस्ट?
भारत सरकार ने कोरोना की जांच के लिए चीन से करीब 9.5 लाख टेस्ट किट खरीदे थे, जिसमें से 5.5 लाख रैपिड टेस्ट किट थी जिन्हें केंद्र सरकार ने सभी राज्य को उनकी जरूरतों के हिसाब से बांट दिया. लेकिन अब इस टेस्ट किट पर सवाल उठने लगे हैं. लेकिन सबसे पहले जान लीजिए की रैपिड टेस्ट होता क्या है.


रैपिड टेस्ट से शरीर में मौजूद एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है. इसके लिए कोरोना जैसे लक्षण दिखने के 14 दिन बाद व्यक्ति के खून के नमूने लिए जाते हैं. रैपिड टेस्ट से पता चलता है कि संदिग्ध मरीज के खून में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी काम कर रही है या नहीं. इससे ये पहचानने में भी मदद मिलती है कि मरीज पहले संक्रमित था या नहीं.


क्या चीन ने जानबूझकर भारत को खराब टेस्ट किट भेजी ?
ICMR के मुताबिक, रैपिड टेस्ट में कुछ समस्या आई है. रैपिड और आरटी-पीसीआर टेस्ट में फर्क मिला है. राज्यों को अगले कुछ दिनों तक रैपिड टेस्ट किट इस्तेमाल न करने की सलाह दी है. जांच के बाद दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे. तो सवाल ये पैदा होता है कि आखिर भारत के पास खराब किट आए कैसे? क्या चीन ने जानबूझकर भारत को खराब टेस्ट किट भेजी ?


ये सवाल उठने लाजिमी है क्योंकि किट भेजने से पहले भी चीन की नियत साफ नहीं लग रही थी, चीन ने भारत को ये किट और पहले देने का वादा किया था लेकिन भारत के हिस्से की किट चीन ने अमेरिका पहुंचा दी थी. जिसके बाद चीन के गुवांगझो की किट बनाने वाली कंपनी पर कई सवाल भी उठे थे. सूत्रों के मुताबिक, एक रैपिड टेस्ट किट की कीमत 610 रुपये है.