Kiren Rijiju: सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच जजों के ट्रांसफर और प्रमोशन को लेकर अभी भी विवाद बरकरार है. कोर्ट ने सरकार को कार्रवाई की चेतावनी भी दी है. इन सबके बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने हाईकोर्ट के जजों के ट्रांसफर को लेकर अहम जानकारी दी. उन्होंने शुक्रवार (10 फरवरी) को लोकसभा (Lok Sabha) में बताया कि हाई कोर्ट के 10 जजों के ट्रांसफर का प्रस्ताव प्रोसेस में है.


एक प्रश्न के लिखित उत्तर में मंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और ट्रांसफर के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर (प्रक्रिया ज्ञापन) में कोई समयरेखा निर्धारित नहीं की गई है. सरकार अभी भी पुराने MoP के अनुसार चल रही है, क्योंकि मार्च 2016 में SC की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के निर्देश पर तैयार किए गए नए मसौदे को CJI के नेतृत्व वाले कॉलेजियम ने अभी तक मंजूरी नहीं दी है.


केंद्र के ढीले रवैये से परेशान है सुप्रीम कोर्ट!


उल्लेखनीय है कि SC ने 3 फरवरी को कहा था कि हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की पदोन्नति और स्थानांतरण पर केंद्र का रवैया काफी ढीला है और शीर्ष अदालत अब कठिन और अप्रिय फैसला लेने के लिए मजबूर हो जाएगा. अदालत ने केंद्र को प्रशासनिक और न्यायिक कार्रवाइयों की चेतावनी दी थी. पीठ ने यह भी कहा था कि ट्रांसफर लिस्ट में शामिल न्यायाधीशों को और देरी की स्थिति में न्यायिक कार्य नहीं दिया जा सकता है.


कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बावजूद किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को दोहराया, 'एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए एमओपी में कोई समयरेखा निर्धारित नहीं की गई है.' उन्होंने कहा कि स्थानांतरण सूची में 10 न्यायाधीशों के संबंध में सिफारिश अभी भी लंबित है.


'जनहित में किए जाएंगे सारे तबादले'


रिजिजू ने जवाब में आगे कहा, 'सारे तबादले जनहित में किए जाने हैं, यानी पूरे देश में न्याय के बेहतर प्रशासन को बढ़ावा देने के लिए… एमओपी के प्रावधान के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश से भी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विचारों को ध्यान में रखने की अपेक्षा की जाती है.'


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