केरल में दर्ज एक मामले की जांच के दौरान राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) को पता चला है कि अवैध अंग दान के लिए लोगों की तस्करी करने वाले गिरोह ने ईरान के अलावा इस वर्ष ओडिशा से दो लोगों को ताजिकिस्तान भी भेजा था. एनआईए ने यहां एक अदालत में दाखिल एक हलफनामे में नए विवरण का खुलासा किया और पहले आरोपी मधु जयकुमार की हिरासत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया. आरोपी यहां के पलारिवट्टोम का मूल निवासी है.

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यह मामला 18 मई, 2024 को सामने आया, जब सबिथ नाम के एक व्यक्ति को एक संगठित अंग तस्करी गिरोह का हिस्सा होने के संदेह में कोच्चि हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने रोक लिया. इसके बाद की जांच में साजिथ और विजयवाड़ा के मूल निवासी बेलमकोंडा राम प्रसाद की गिरफ्तारी हुई, जिन्होंने अवैध अंग प्रतिरोपण के लिए अंग दाताओं और प्राप्तकर्ताओं को ईरान के अस्पतालों तक यात्रा की सुविधा प्रदान की थी.

एक साल से अधिक समय से फरार जयकुमार को इस साल सात नवंबर को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचने पर गिरफ्तार कर लिया गया था. यहां एनआईए अदालत में दाखिल हलफनामे के अनुसार, जयकुमार ने पूछताछ के दौरान उन 27 प्राप्तकर्ताओं के नामों का खुलासा किया, जिन्होंने ईरान में किडनी ट्रांसप्लांट कराया था. एनआईए ने कहा कि उसने 11 डोनर्स के नामों का भी खुलासा किया.

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हलफनामे में कहा गया है, 'इस मामले के दर्ज होने के बाद भी 2025 में ओडिशा के दो व्यक्तियों को ताजिकिस्तान भेजा गया, जहां आरोपियों के माध्यम से उनकी किडनी अमीर लोगों में प्रतिरोपित की गई.' एनआईए ने अवैध अंग व्यापार के माध्यम से प्राप्त धन का पता लगाने के लिए जयकुमार की हिरासत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया.

एनआईए ने यह भी कहा कि जयकुमार से अन्य आरोपियों के मोबाइल फोन से निकाले गए बैंक खाते के विवरण, तस्वीरों और वीडियो के संबंध में भी पूछताछ करने की जरूरत है. एजेंसी ने कहा, 'हिरासत में पूछताछ के माध्यम से पहले आरोपी का अन्य किडनी गिरोहों के साथ संबंध भी पता लगाया जाना है.'

अदालत ने 15 दिसंबर को जयकुमार को तीन दिनों के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया था. जयकुमार फिलहाल एनआईए की हिरासत में है, जो गुरुवार (18 दिसंबर, 2025) को खत्म हो रही है. सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ओडिशा के दो दानदाताओं का पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है जिन्हें ताजिकिस्तान भेजा गया था.

मामले में एनआईए के आरोपपत्र में कहा गया है कि जो दानकर्ता आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से हैं, उन्हें अधिक धन का लालच दिया गया था. हालाकि, उन्हें ईरान ले जाने के बाद उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए और उन्हें वह राशि भी नहीं दी गई जिसका वादा किया गया था.

 

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