भारत का अपना बनाया हुआ अर्जुन Mk-1A टैंक अपनी कीमत को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है. 2021 में रक्षा मंत्रालय ने 118 अर्जुन Mk-1A टैंकों का ऑर्डर दिया, जिसकी कुल कीमत 7,523 करोड़ रुपए थी. यानी एक टैंक की औसत कीमत करीब 64 करोड़ रुपए बैठती है.
अमेरिका और जर्मनी के टैंकों से सस्ता है 'अर्जुन'
यह कीमत सुनकर लगता है कि बहुत ज्यादा है, लेकिन तुलना करें तो समझ आएगा. आर्म्ड फोर्सेस के मुताबिक, भारत का मुख्य T-90 टैंक, जिसे रूस से लाइसेंस पर बनवाया गया, उसकी एक यूनिट की कीमत करीब 36 से 40 करोड़ रुपए है. यानी अर्जुन टैंक से करीब आधी कीमत. लेकिन पश्चिमी टैंकों से तुलना करें तो अर्जुन सस्ता लगता है. जैसे जर्मनी का लेपर्ड-2 करीब 54 करोड़ रुपए, अमेरिका का अब्राम्स करीब 84 करोड़ रुपए और और फ्रांस का लेकलार्क भी महंगा है.
अर्जुन की कीमत ज्यादा इसलिए है क्योंकि यह छोटी संख्या में बन रहा है और इसमें नई टेक्नोलॉजी डाली गई है. बड़े ऑर्डर होते तो कीमत कम हो सकती थी. साथ ही, यह 'मेक इन इंडिया' का हिस्सा है, जिसमें 54% से ज्यादा पार्ट्स भारतीय हैं, जो देश की सेल्फ-रिलायंस बढ़ाता है.
अर्जुन Mk-1A टैंक में 72 नई खूबियां
अब बात अर्जुन Mk-1A की खूबियों की करें तो यह पुराने अर्जुन Mk-1 से काफी बेहतर है. इसमें 72 नई खूबियां जोड़ी गई हैं, जिनमें 14 बड़े अपग्रेड हैं...
- इसका वजन करीब 68 टन है, लेकिन 1400 हॉर्सपावर का इंजन इसे हर तरह के इलाके में आसानी से चलने की ताकत देता है, फिर रेगिस्तान हो या ऊबड़-खाबड़ जमीन.
- मुख्य गन 120 mm की राइफल्ड है, जो दिन-रात किसी भी मौसम में सटीक निशाना लगाती है.
- एडवांस्ड फायर कंट्रोल सिस्टम है, जो दुश्मन को जल्दी पकड़ता और मारता है.
- सुरक्षा के लिए 'कंचन' आर्मर है, जो गोले और मिसाइलों से बचाता है.
- नाइट विजन, लेजर वार्निंग सिस्टम और एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर भी हैं.
- मिसाइल फायर करने की क्षमता भी जोड़ी जाएगी.
अर्जुन Mk-1A को DRDO ने बनाया है और हैवी व्हीकल फैक्ट्री, अवदी में तैयार होता है. यह टैंक भारतीय सेना के लिए खासतौर पर डिजाइन किया गया है. ट्रायल्स में इसने रूसी T-90 को कई बार हराया है. यह सटीक शूटिंग और गतिशीलता में बेहतर साबित हुआ है.
क्या यह टैंक कभी जंग में लड़ा है?
अभी तक नहीं. अर्जुन Mk-1 (पुराना वर्जन) 2004 से सेना में है, दो रेजिमेंट्स (करीब 124 टैंक) राजस्थान के रेगिस्तान में तैनात हैं. लेकिन कोई असली युद्ध में इस्तेमाल नहीं हुआ. यह अभी ट्रेनिंग और तैयारियों में है.
अर्जुन Mk-1A भारत बढ़ती ताकत दिखाता है. यह महंगा जरूर है, लेकिन देसी होने से यह हमें मजबूत बनाता है. आने वाले सालों में डिलीवरी बढ़ेंगी और शायद कीमत भी कम हो. यह टैंक बताता है कि भारत अब सिर्फ खरीदता नहीं, खुद बनाता भी है.