Arif Mohammad Khan: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एक बार फिर सनातन संस्कृति को पुनर्जीवित करने पर जोर दिया है. उनका मानना है कि सनातन संस्कृति कर्तव्य केंद्रित है न कि अधिकार केंद्रित. इस मामले के अलावा उन्होंने कुरान के साथ-साथ संविधान की भी बात की. उनका कहना है कि आज के जिस समाज में हम रहते हैं वो अधिकार की बात ज्यादा करता है.


आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘कुरान कहता है कि इतिहास में अजाब उनके ऊपर आया है जो लोगों को बांटते थे. किसी भी आधार पर इंसानों को बांटते थे. हर एक इंसान से उसके कर्मों का हिसाब किताब होगा.’ उन्होंने कहा कि हमारी आंखों के सामने बांटने वालों का क्या हश्र हुआ? चाहे वो किसी भी आधार पर बांट रहें हों. मौला अली ने कहा अल्लाह कि हर मखलूक(जीव) से मोहब्बत का होना ही दीन है. किसी एक विशेष मखलूक से मोहब्बत के बारे में नहीं कहा.


‘अधिकारों पर ज्यादा जोर’


राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि संविधान अधिकार और कर्तव्य की बात करता है लेकिन आज हम जिस समाज में रहें हैं, इस समाज में अधिकार पर ज्यादा जोर दिया गया है. अधिकार मूल हैं अगर कमी होती है तो उसके लिए अदालत जा सकते हैं लेकिन कर्तव्य न अदा करो तो किसी के पास विकल्प नहीं है कि वो अदालत चला जाए. मॉडर्न वर्ल्ड अधिकार केंद्रित है. इसमें कोई बुराई भी नहीं है क्योंकि इससे, दुनिया में बहुत कुछ अच्छा हुआ है.


क्या कहता है कुरान?


उनका कहना है, “कुरान में आता है कि हमने इंसान को इज्जत से नवाजा है. ये नहीं कहा है कि सिर्फ मुसलमानों को इज्जत से नवाजा है. मेरे दिमाग में कई बार ये सवाल आता है कि अगर इज्जत से खुदा ने नवाजा है और आपकी हुकूमत है तो आप मुझे द्वितीय श्रेणी का इंसान कैसे बना सकते हैं. आप कैसे खराबी ढूंढ सकते हैं. मेरी इबादत का तरीका क्या है? मैं किस खुदा को मानता हूं किस खुदा को नहीं मानता?” आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हिंदुस्तान की सनातन संस्कृति के हिसाब से नजर डालें तो यहां कांसेप्ट अधिकार केंद्रित नहीं बल्कि कर्तव्य केंद्रित है.


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